देश की जनता अपने प्रतिनिधियों को इसलिए चुनकर संसद में भेजती है कि वे जनता की समस्याओं का संसद में जिक्र करेंगे लेकिन वहां जाकर उनकी जुबां पर ताला लग जाता है। शत्रुघ्न सिन्हा को तृणमूल कांग्रेस ने अप्रेल 2022 में आसनसोल से लोकसभा भेजा। 17वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म हो गया लेकिन उन्होंने संसद में एक शब्द नहीं बोला। वह लोकसभा के भीतर ‘खामोश’ ही रहे।
सनी देओल
सिलवर स्क्रीन पर सनी देओल का ‘तारीख पे तारीख’ वाला डायलॉग आज भी याद किया जाता है। लेकिन पूरे पांच साल गुजर जाने पर भी गुरदासपुर से बीजेपी सांसद की लोकसभा में बोलने की तारीख नहीं आई। 17वीं लोकसभा में उन्होंने एक शब्द तक नहीं बोला।
शत्रुघ्न सिन्हा
अप्रेल 2022 में तृणमूल कांग्रेस की टिकट पर शत्रुघ्न सिन्हा आसनसोल उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। वह सदन में कई बार नजर आए, विपक्ष के कुछ प्रदर्शनों में भी हिस्सा लिया मगर जुबान पर ताला रहा। न तो उन्होंने कोई सवाल पूछा, न ही क्षेत्र से जुड़ा सवाल।मुद्दा उठाया।
कुछ तो बोलो : ओम बिरला
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने अपनी नियुक्ति के कुछ समय बाद ही पहली बार सांसद बनने वालों की सूची बनवाई थी। वह उन सभी से कम से कम एक बार बोलने की गुजारिश करते थे, भले ही वह शून्यकाल में ही क्यों न हो। बिरला की तमाम कोशिशों के बावजूद कई सांसद ऐसे रहे, जिन्होंने 2014 से 2019 के बीच एक बार भी कुछ नहीं कहा।