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केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ता और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता इंजीनियर सोनम वांगचुक आमरण अनशन पर बैठे है। आज यानी 18 मार्च, 2024 को उनके अनशन का 13वां दिन है। बता दे कि सोनम वांगचुक ने 6 मार्च, 2024 को अनशन पर बैठना शुरू किया। दरअसल, केंद्र सरकार के साथ बैठक विफल होने के बाद वांगचुक ने ये कदम उठाया है।
BEGINNING OF DAY 13 OF MY #CLIMATEFAST
250 people slept hungy in – 12 °C to remind the Indian Government of their promises to safegurad Ladakh's environment and tribal indigenous culture.
First of all many heartfelt thanks to all who participated in yesterday's protests in… pic.twitter.com/jU1vZmbCWP
— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) March 18, 2024
सोनम को मिला सीएम केजरीवाल का समर्थन
वही अब सोनम वांगचुक और लद्दाख के लोगों के समर्थन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी सामने आए हैं। वांगचुक के ट्वीट पर सीएम केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर लिखा, ”हम आपके और लद्दाख के लोगों के साथ हैं। यह बेहद गंभीर और बिल्कुल अस्वीकार्य है कि कैसे केंद्र ने लद्दाख को धोखा दिया है।”
We are with you and the people of Ladakh. This is very serious and absolutely unacceptable how the centre has cheated Ladakh. https://t.co/GFDIU5uX8u
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 11, 2024
दरअसल, सोनम वांगचुक ने अनशन के पांचवें दिन का वीडियो जारी किया था। वीडियो में वांगचुक ने कहा था कि, वे लद्दाख के संरक्षण और डेमोक्रेसी की बहाली के लिए अनशन कर रहे हैं। यह सिर्फ लद्दाख की बात नहीं है। यह देश में विश्वास को दोबारा स्थापित करने की बात है।
में वांगचुक ने कहा, हमारे देश में लोहा, मिनरल सब कुछ है मगर विश्वास की कमी है। जनता अपने नेता पर भरोसा नहीं कर रही है। नेता अपने साथियों पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। इलेक्शन प्रोसेस और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से विश्वास उठ रहा है। ऐसे में लोग नेताओं से सीखकर बिजनेस में भरोसा नहीं करते हैं। लद्दाख के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।
वांगचुक ने कहा, 2019 में लद्दाख के साथ इलेक्शन मेनिफेस्टो में लिखकर वादा किया गया था कि लद्दाख को छठवें शेड्यूल में संरक्षण दिया जाएगा और ये मेनिफेस्टो सिर्फ जुबानी नहीं थे। लिखित में वादा करने के बाद भी 2020 तक यह वादा भूल गए। फिर जब हिल काउंसिल का दूसरा चुनाव आया तो लोगों ने कहा कि वह चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे। इसपर केंद्र सरकार स्पेशल विमान से लद्दाख के नेताओं को दिल्ली ले गई, वहां पर विनती की। इसपर नेताओं ने विश्वास कर लिया और वापस आ गए।
वांगचुक ने आगे कहा, यहां (लद्दाख) पर आकर फिर से संसदीय और हिल काउंसिल के चुनाव में भारी बहुमत से जिताया। 4 साल तक टाल मटोल करते रहे और अब 4 मार्च को कह दिया है कि न लोकतंत्र और न संरक्षण छठवें शेड्यूल में देंगे। अब यहां के लोग फिर से कह रहे हैं कि आने वाले संसदीय चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
रैली में सोनम वांगचुक ने की थी आमरण अनशन घोषणा
जानकारी के मुताबिक, बता दे कि केंद्र सरकार के साथ लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) की बैठक विफल रही। इसके बाद लेह धार्मिक संगठन ने लेह बंद बुलाया। इसके साथ ही NDS स्टेडियम में रैली की गई। इस रैली में कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया। रैली को संबोधित करते हुए सोनम वांगचुक ने आमरण अनशन की घोषणा की थी।
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग
दरअसल, लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने, केंद्र शासित प्रदेश को संविधान की 6वीं शेड्यूल में शामिल करने की मांग की जा रही है। सोनम वांगचुक ने लद्दाख के लोगों की मांग के समर्थन में 21 दिनों के अनशन पर बैठे है। वांगचुक के अनुसार, अगर सरकार लद्दाख के लोगों के साथ किए गए वादे को पूरा नहीं करती है तो उनका ये अनशन 21 दिन तक लगातार जारी रहेगा।