स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) योजनान्तर्गत बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन पर एक दिवसीय आमुखीकरण कार्यशाला आयोजित हुई। इस अवसर पर एसबीएम ग्रामीण राजस्थान समन्वयक व डूंगरपुर नगर परिषद के पूर्व सभापति के.के. गुप्ता ने स्वच्छता मॉडल के लिए अनुभव साझा किए।
उन्होंने कहा कि स्वच्छता से ही समृद्धि होती है। सभी को मजबूत इच्छाशक्ति और भाव से अंतिम गांव-ढाणी तक स्वच्छता का कार्य करना है विजन और मिशन होने के लिए इस पर जोर दिया।
मॉडल ग्राम पंचायतों के निरीक्षण को निर्देश
जनप्रतिनिधि नियमित प्रत्येक घर जाकर स्वच्छता के लिए आह्वान करें। ग्राम पंचायत में आरआरसी प्लांट बनवाए, गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग एकत्रित कर निस्तारित करें। सामुदायिक शौचालयों को काम में लेने के साथ ही विशेष जिम्मेदारी से नियमित सफाई सुनिश्चित कराएं।
घरों में बायोगैस प्लांट, क्षेत्र में पार्क और पुस्तकालय बनवाएं। उन्होंने जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी को 15 दिन में और विकास अधिकारी 7 दिन में कम से कम एक बार मॉडल ग्राम पंचायतों का निरीक्षण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ग्राम सेवक नियमित रूप से स्वच्छता बिन्दुओं के अनुसार कार्य करें, तभी आपका जिला राजस्थान में अग्रणी बनेगा।
कार्यशाला में जिला कलक्टर एल एन मंत्री ने स्वच्छता पर बल देते हुये व इस मिशन को जीवन में उतारने के लिये कहा । सीईओ नन्दकिशोर राजौरा ने जिले में कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने आश्वस्त किया है सभी के प्रयासों से मिशन में जिला अग्रणी रहेगा। इस कार्यशाला में जिले की विभिन्न पंचायत समितियों के विकास अधिकारी , एईएन सरपंच, विकास अधिकारी, जेटीओ, ठोस कचरा प्रबंधन विशेषज्ञ सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण उपस्थित रहे।
स्वच्छता को लेकर लापरवाही बर्दाश्त नहीं
उन्होंने कहा कि स्वच्छता के लिए संकल्पित राज्य सरकार संसाधनों की कोई कमी नहीं आने देगी। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े राजकीय कार्मिकों से कहा कि राज्य सरकार स्वच्छता को लेकर गंभीर है। इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी और लापरवाह कार्मिकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पंचायत समिति में मॉडल ग्राम पंचायतों का चयन कर उनमें पूरे मनोयोग से स्वच्छता का कार्य करें और आगे बढ़ाए।
हर घर में प्लास्टिक घर बनाएं
गुप्ता ने ग्राम पंचायतों को राज्य में रोल मॉडल बनाने के लिए आवश्यक टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि अपने घर-गांव में पुराने कचरे को समयबद्ध निस्तारित कराएं। गांवों में गंदगी के सबसे बड़े कारण प्लास्टिक को फैलने से रोके और ‘हर घर में प्लास्टिक घर‘ बनाए। उन्होंने कहा कि सड़कों में फैली प्लास्टिक खाने वाले पशुओं का दूध पीने से कैंसर का भी खतरा होता है। इसलिए प्रत्येक घर में प्लास्टिक को एक बैग में एकत्रित कर बेचें।