
बाड़मेर। एक साथ उन राजस्थानी की चार पुस्तकों का विमोचन, यह एक अदभूत है। राजस्थानी को मान्यता नहीं मिलने की वजह कहीं न कहीं राजनीति है। स्टेशन रोड पर एक होटल में आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में समारोह की अध्यक्षता कर रहे पूर्व सांसद कर्नल मानवेंद्रसिंह ने कहीं। उन्होंने कहा कि लोकसभा में जब सांसद चुना गया तब राजस्थानी में शपथ लेने के लिए बताया गया, लेकिन मुझे राजस्थानी में शपथ लेने से मना कर दिया और कहा कि राजस्थानी को मान्यता नहीं है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी का इतिहास हिंदी भाषा से भी पुराना है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलनी चाहिए। इसके लिए हम बस प्रयासरत है।
समारोह के मुख्य अतिथि माता रानी भटियाणी ट्रस्ट के अध्यक्ष रावल किशन सिंह ने कहा कि अपनी भाषा के प्रति हमेशा सजग रहना । उन्होंने कहा कि एक साथ चाहिए। उन् राजस्थानी की चार पुस्तकों का विमोचन, यह एक अदभूत है। उन्होंने साहित्यकार मांगूसिंह को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि घर में अपनी भाषा बच्चों को सिखाएं, यह अभिभाव का पहला दायित्व है, क्योंकि अपनी स्थानीय भाषाओं का ट्यूशन भी कहीं नहीं मिलता है। हमेशा अपनी संस्कृति व भाषा के लिए संघर्षरत है। साहित्यकारों को इस तरह की पुस्तकें निरंतर लिखते रहना चाहिए। समारोह के मुख्य वक्ता केंद्रीय साहित्य अकादमी से पुरस्कृत महेंद्र सिंह छायण ने राजस्थानी भाषा पर प्रकाश डाला।
शिव विधायक रविंद्रसिंह भाटी ने कहा कि राजस्थानी को लेकर विधानसभा में बात रखी है। इसके लिए संघर्ष भी लगातार कर रहे है। जब विधायक बनने के बाद विधानसभा में पहुंचा तो शपथ राजस्थानी में लेने के लिए आवेदन किया, लेकिन मुझे मना कर दिया गया। इसके बावजूद करोड़ों राजस्थानियों की भावनाओं को देखते हुए शपथ को राजस्थानी में लिया गया, लेकिन उसे कार्यवाही में शामिल नहीं किया गया। यूआइटी सचिव श्रवणसिंह राजावत ने संबोधित किया। शिक्षाविद् कमलसिंह महेचा ने कहा कि दुनिया में उन्हीं का इतिहास जीवित रहता है, जो अपनी भाषा। औरं संस्कृति जीवित रखते हैं।
इसलिए हमें अपनी भाषा व संस्कृति को सदैव आगे रखना चाहिए। पुष्पेंद्रसिंह ने ने बताया कि कवि एवं साहित्यकार मांगू सिंह राठौड़ रचित चार पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। मांगू सिंह ने केतानां काव्य, सुजस री सोरम, धनियां री धरोहर, रीति नीति रा सोरठा नामक चार पुस्तकों का राजस्थानी में लेखन किया है। पत्र वाचन नखत सिंह गोरडिया ने किया। जैतमालसिंह राठौड़ ने स्वागत भाषण दिया। संचालन नाथूसिंह खिरजा खास ने किया।
रिपोर्ट – ठाकराराम मेघवाल