
Jaisalmer। राष्ट्र सेविका समिति ने वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। यह अवसर न केवल रानी के बलिदान को याद करने का था, बल्कि उनके अदम्य साहस और शौर्य को वर्तमान पीढ़ी तक पहुंचाने का भी एक सशक्त माध्यम बना। कार्यक्रम की शुरुआत में समिति की महिलाओं ने विभिन्न खेल, योग और नियुद्ध (मार्शल आर्ट्स) का प्रदर्शन किया, जिसने सभी का ध्यान आकर्षित किया। इसके साथ ही शस्त्र प्रदर्शन ने रानी लक्ष्मीबाई के युद्ध कौशल और वीरता की याद दिलाई, और यह दर्शाया कि कैसे स्त्रियाँ भी आवश्यकता पड़ने पर सशक्त रूप से अपनी रक्षा कर सकती हैं।
मुख्य वक्ता आंचल ने रानी लक्ष्मीबाई के प्रेरणादायक जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस प्रकार रानी ने विषम परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और अपने नेतृत्व क्षमता से अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए। आंचल ने इस बात पर जोर दिया कि रानी लक्ष्मीबाई राष्ट्र सेविका समिति के तीन महान आदर्शों में से एक हैं, जिनसे हमें सही दिशा में नेतृत्व करने की प्रेरणा मिलती है। इस दौरान “पदचिह्नों पर उनके मैं चल पाऊं ऐसा आशीष मुझको भी मिल जाए, रानी जैसा हर कदम मिल जाए, शत्रु कांपे भारत मां का आंगन खिल जाए” जैसी पंक्तियों को दोहराकर सभी ने रानी के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया।
मुख्य अतिथि प्रिया हर्ष ने अपने संबोधन में बहनों को भविष्य में झांसी की रानी की तरह मजबूत और निडर बनने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आज के समय में नारी शक्ति को पुनः जागृत करना अत्यंत आवश्यक है, और इस दिशा में राष्ट्र सेविका समिति का कार्य वास्तव में सराहनीय है। यह कार्यक्रम केवल एक श्रद्धांजलि समारोह नहीं था, बल्कि यह महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें अपने अधिकारों के लिए खड़े होने के लिए प्रेरित करने का एक सशक्त मंच भी बना। रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य और बलिदान की गाथाएँ हमेशा हमें प्रेरणा देती रहेंगी कि अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाना कितना महत्वपूर्ण है।
रिपोर्ट – कपिल डांगरा