
सीलदर (Sildar) में दो ट्यूबवेल खराब होने के कारण पेयजल संकट गहरा गया था। जलदाय विभाग द्वारा जल स्रोतों का समय पर रखरखाव न किए जाने के कारण विशेष रूप से गर्मी के मौसम में ग्रामीणों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा था। सिलदर के ग्रामीण इस समय गंभीर पेयजल संकट से जूझ रहे थे।
जलदाय विभाग की ओर से यहां तीन सरकारी ट्यूबवेल से पेयजल की सप्लाई की जाती थी, लेकिन उनमें से एक ट्यूबवेल पर पूरा गांव निर्भर था। इसका कारण था कि एक ट्यूबवेल की मोटर खराब हो गई थी, जबकि दूसरे ट्यूबवेल में पानी की मात्रा कम होने के कारण पाइप छोटी हो गई थी, जिससे पानी बाहर नहीं निकल रहा था। इस वजह से गांव में लगभग सात दिन से जलापूर्ति ठप पड़ी थी। गर्मी के मौसम में ग्रामीणों को दोपहरी में पानी के लिए भटकना पड़ रहा था।
ट्यूबवेल की स्थिति भी खराब थी। एक ट्यूबवेल में पानी तो पर्याप्त था, लेकिन उसकी मोटर जल चुकी थी, जिससे वह बंद पड़ा था। दूसरे ट्यूबवेल में पानी की मात्रा कम हो गई थी, जिससे जलस्तर नीचे चला गया था। इस पर दो पाइप डालने की जरूरत थी। तीसरे ट्यूबवेल से पानी सही मात्रा में आ रहा था, लेकिन वह पूरे गांव की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा था।
समाजसेवी नरेंद्र मेवाड़ा ने बताया था कि पेयजल समस्या का समाधान करने के लिए उन्होंने कई बार विभाग के जेईएन से फोन पर बात की थी, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ था। उनका कहना था कि जल चुकी मोटर को बदलने से समस्या हल हो सकती थी। इसके अलावा, एक ट्यूबवेल में दो पाइप डालने से भी समस्या का समाधान संभव था।