
Meghwal : मेघवाल समाज का महाकुंभ समाज के आराध्य देव श्री रघुनाथपीर आश्रम ढालोप में श्री गुरु गादीपति पीर बालकदासजी महाराज के सान्निध्य में अखिल राजस्थान मेघवाल समाज रघुनाथ पीर आश्रम ढालोप के अध्यक्ष वदाराम बोस एवं उनकी पूरी टीम की देख रेख में 36वां राज्य स्तरीय विशाल मेला एवं भक्ति संध्या 28 फरवरी 29 फरवरी को मेला आयोजित होगा।
मेले की व्यवस्था के लिए कार्यकारणी सदस्यों को नामित किया गया इस राज्य स्तरीय मेले मे मुख्य अतिथि केबिनेट मंत्री श्रीमान जोरारामजी कुमावत विधायक सुमेरपुर श्रीमान ओटारामजी देवासी राज्य मंत्री विधायक सिरोही श्रीमती डां मंजू बाघमार राज्य मंत्री अध्यक्षता श्रीमान पुष्पेंद्र सिंह राणावत पूर्व केबिनेट मंत्री विधायक बाली विशिष्ट अतिथि श्रीमती गीता बरबड़ विधायक भोपालगढ़ श्रीमान आदुराम विधायक चोहटन श्रीमान रुपाराम धनदेव राष्टीय अध्यक्ष मेघवाल समाज विशिष्ट अतिथि हिम्मत सिंह मेड़तिया घाणेराव सरकार सहित सहित अन्य समाज के अधिकारी गण भाग लेंगे।
मेले में 11 परगना 360 गांवो से समाज के पंच मुखियान माताएं बहने एवं युवा साथी भाग लेंगे मेले को लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही है।
Meghwal: इनकी रहेगी महत्वपूर्ण भूमिका
टेंट, पांडाल, लाइटिंग, मंदिर परिसर पर मेले के दौरान पैदल संघ कोशिलाव से जोराराम जी द्वारा सैकड़ों की भीड़ साधु-संतों के साथ में 28 फरवरी की शाम को ढालोप नगर में प्रवेश करेंगे, जिनका बाजे-गाजे के साथ ट्रस्ट द्वारा स्वागत किया जाएगा।
व्यवस्था को लेकर पूर्व अध्यक्ष विजय राज बावल, अध्यक्ष वदाराम बॉस, सचिव सखाराम राठौड़, कोषाध्यक्ष हिम्मतराम रांगी, महामंत्री भूराराम डांगी, हुकमाराम राठौड़, पताराम अनोपूरा, छोगाराम राठोड़, रमेश जी चौहान, हंसाराम मोतीलाल डांगी, ओगाराम गहलोत, टीकमराम रीडर, मेला संयोजक प्रशांत मेघवाल सेसली, राजाराम राठौड़, पुनारामजी आना सहित समाज के बंधुओं द्वारा पत्रिका वितरित कर सभी को मेले में आने का न्यौता दिया।मेले में माहपसादी का आयोजन भामाशाह द्वारा किया जाएगा। यह जानकारी ट्रस्ट महामंत्री भूराराम डांगी द्वारा दी गई।
राजस्थान के Meghwal समाज का इतिहास और उत्पत्ति संबंधित जानकारी इस प्रकार है
मेघवाल समाज का उत्पत्ति संबंधित क्षेत्रों के ऐतिहासिक साक्ष्यों और प्राचीन साहित्य के आधार पर विश्लेषण किया जा सकता है। इस समाज का उद्भव प्राचीन काल में हुआ था, और यह मूल रूप से राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में निवास करता था। मेघवाल समाज की मूल उत्पत्ति अधिकतर मेघवाल वंशजों के आदिवासी आदिवासी समुदायों से माना जाता है, जो प्राचीन काल से ही इस क्षेत्र में निवास करते थे।
इस समाज का इतिहास उनके समाज की संस्कृति, धार्मिक अनुष्ठान, सामाजिक प्रथाओं, और आर्थिक विकास के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है। मेघवाल समाज के विकास में धार्मिक और सामाजिक आयामों का गहरा प्रभाव रहा है, जो उनके सामाजिक संरचना और जीवनशैली को प्रभावित करता है। यह समाज अपनी अद्भुत सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं, और ग्रामीण जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध है।
राजस्थान की मेघवाल समाज की इतिहास और उत्पत्ति अत्यंत प्राचीन है। यह समाज भारतीय इतिहास में गौतम बुद्ध के काल में प्रारम्भ होता है, जब उन्होंने समाज के अनुसार अपने अनुयायियों को जाति व्यवस्था से मुक्त करने का संदेश दिया था।
Meghwal के बारे में मजेदार तथ्य
मेघवाल समुदाय का एक रोचक तथ्य है कि उनकी लोक संगीत और नृत्य सामाजिक और सांस्कृतिक आयामों को समर्पित हैं, जो उन्हें अनूठा और प्रसिद्ध बनाता है।
मेघवाल समाज की उत्पत्ति के बारे में कई प्रसिद्ध धारणाएं हैं। एक मान्यता के अनुसार, इस समाज की उत्पत्ति उत्तर भारत के विभिन्न क्षेत्रों से हुई, जहां लोगों ने अपनी विभिन्न संस्कृतियों और आदिवासी जातियों से मिश्रण किया। दूसरी मान्यता के अनुसार, मेघवाल समाज का नाम उन लोगों के पास से आया है जो मेघवाल नदी के किनारे निवास करते थे, जो अब राजस्थान के कई हिस्सों में पायी जाती है।
मेघवाल समाज की संघर्षशील इतिहास और उनके सांस्कृतिक विरासत का गौरवपूर्ण इतिहास है। वे अपनी प्राचीनतम संस्कृति, लोक संगीत, और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध हैं। मेघवाल समाज अपनी अद्वितीय परंपराओं और संस्कृति के माध्यम से राजस्थान के सांस्कृतिक तथा सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है।
मेघवाल समुदाय का भविष्य उज्जवल है, जैसा कि वे शिक्षा, रोजगार, और समाज में अधिक समानता की दिशा में अग्रसर होते हैं। उनका समुदाय संपन्नता और सामाजिक उत्थान के लिए प्रेरित है।