Rajsamand : चारभुजा धाम में संत समागम की पूर्णता: आंखों में नमी, हृदय में अनुराग

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चारभुजा धाम में संत समागम की पूर्णता: आंखों में नमी, हृदय में अनुराग

राजसमंद (Rajsamand) जिले के चारभुजा अंतर्राष्ट्रीय राम स्नेही संप्रदाय शाहपुरा के पीठाधीश्वर जगतगुरु आचार्य स्वामी रामदयाल के कस्बे में चल रहे भक्ति सौरभ चातुर्मास का शनिवार को समापन हुआ। चातुर्मास की समाप्ति पर आचार्य रामदयाल ने अपने उद्बोधन देते हुए कहा कि यह चातुर्मास राष्ट्रीय चिंतन, मानव सेवा के भाव की ओर कदम बढ़ा रहा है। जहां से सुख शांति और समृद्धि की हवाएं चारों तरफ बिखरी हुई है। इस सुगंध का लाभ विभिन्न अंचलों से आए भक्त जनों ने लिया। चारभुजा धाम में चातुर्मास करने का उद्देश्य भी यही था कि चारभुजा नाथ के चरणों में पावणा बनकर राष्ट्रीय चिंतन की भावना की जागृति हो। जहां ज्ञान,भक्ति व कर्म योग का जीवन में पदार्पण हो जाता है वहां जीवन को पूर्णता प्रदान हो जाती है। कार्यक्रम में सोजत केलवाड़ा के संत रामस्वरूप ने चातुर्मास कार्यक्रम की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि जीवन का आधार ही संत है। आचार्य के सानिध्य में वैराग्य ,सांस्कृतिक मूल्यों की पहचान हुई है। उन्होंने कहा कि वे चार संतों के सानिध्य में रहकर यानी चार पीढ़ी, 70 वर्ष से समाज रामस्नेही संप्रदाय की सेवा में लगे हुए हैं। जीवन संयम व सेवा के लिए समर्पित रहा। यह सब जीवन का उत्कर्ष व पुरुषार्थ, पराकाष्ठा का फल है। उन्होंने चातुर्मास आयोजन समिति के सफल आयोजन व व्यवस्था की सराहना की। वही शाहपुरा से कैलाश तोषनीवाल के नेतृत्व में आए समाज जन व महिलाओं ने पुनः शाहपुरा पधारने की विनती की तथा अर्जी प्रस्तुत की। अर्जी का वाचन शाहपुरा से आए तोषनीवाल ने किया, इसके बाद आचार्य के चरणों में अर्जी पत्रिका समर्पित की। संत गोविंद राम ने अगले चातुर्मास के लिए आई अर्जियों की जिसमें कोटुन, भीलवाड़ा ,जयपुर ,घोसुंडा, अयोध्या, भरनी, बोराणा ,पंजाब ,सूरत कोटडी ,महाजनपुरा कस्बे की अरजी जिनको मंच पर प्रसारित किया। यह संतों व आचार्य की गोष्ठी व परामर्श के बाद ही तय हो पाएगा कि अगला चातुर्मास कौन से शहर में आयोजित होगा। उन्होंने बताया कि रामस्नेही चिकित्सालय भीलवाड़ा को 25 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं, जिसकी रजत जयंती 28 दिसंबर से 1 जनवरी 2026 पांच दिवसीय कार्यक्रम होगा। वहीं, आचार्य का पाटोत्सव 14 जनवरी से 20 जनवरी 2026 को जोधपुर में मनाने की विनती की गई। इसके साथ ही दीक्षा उत्सव शिवरात्रि पर ग्वालियर मध्यप्रदेश में करने की अर्जी आई। रामस्नेही संप्रदाय रामद्वारा में वर्तमान में 170 संत हैं,जिनमें से 25 संतों की उम्र 25 वर्ष से भी कम है। इससे पूर्व शाहपुरा से आई बालिका चक्षु चौधरी ने, मारा गुरु जी का नाम हजार, कोई कहे सुडाका, वह तो शाहपुरा का सिरताज भजन प्रस्तुत किया। महिलाओं द्वारा भी भजनों की प्रस्तुतियां दी गई। वही चातुर्मास समिति के जगदीश सोडाणी, श्यामलाल ईनाणी, रमेश चंद्र मालीवाल ने चातुर्मास में हुए भक्ति सौरभ की विस्तार से जानकारी दी। इसी मंगल भावना के साथ सानंद चातुर्मास संपन्न हुआ। भक्त आचार्य के चरणों में खूब झूमे नाचे तथा आशीर्वाद प्राप्त किया। कैलाश की नानी ने भाव भरी लाइनें जगतगुरु के चरणों में नमन करते हैं आंखों में आंसू भरकर हम सब अभिनंदन करते हैं, सुन कर श्रद्धालुओं को भाविभोर कर दिया। इसके साथ ही श्रद्धालु शोभा देवी ने सूना है आंगन सूना है मन गुरुदेव ना जाओ यह कहती है धड़कन, सुनाकर गुरुदेव के चरणों की महत्ता को प्रतिपादित किया। आचार्य स्वामी रामदयाल का 4 अक्टूबर तक प्रवास माहेश्वरी सेवा सदन में ही रहेगा, जिसके बाद में 5 अक्टूबर को 8:30 बजे शाहपुरा धाम पर प्रस्थान करेंगे।

रिपोर्ट – नरेंद्र सिंह खंगारोत

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