जैसलमेर। शहर के ह्रदय स्थल हनुमान चौराहा पर स्थित पेट्रोल पंप की जमीन को 2008 में तत्कालीन जिला कलेक्टर अंबरीशकुमार के निर्देशानुसार नगरपालिका द्वारा शोर्ट नोटिस पर रातो रात खाली कर के डामर रोड बना दिया था। 14मई 24 को सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत मानते हुए नगरपरिषद को 15 दिन में भू स्वामी को जमीन का कब्ज़ा देने के आदेश पारित किये।
उच्चतम न्यायालय के निर्देश की पालना करते हुए नगरपरिषद ने आवंटी को अपनी तरफ से कब्जा सुपुर्द किया। हालांकि पक्षकारों ने इस कब्जे को कागजी बताते हुए उसके कागजात पर हस्ताक्षर नहीं किए और कब्जा लेने से इनकार किया। परिषद ने करीब 80 गुणा 100 फीट साईज की जमीन पर रेड मार्किंग कर उपस्थित आवंटी पक्ष को कब्जा देने की कार्रवाई की लेकिन आवंटी ने कब्जा सुपुर्दगी पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया।
परिषद आयुक्त लजपाल सिंह ने बताया कि वादीपक्ष ने मांग रखी कि नगरपरिषद भूखंड पर तार बंदी करवा कर दे उसके बाद कब्जे से संबंधी पत्रावली पर हस्ताक्षर करेंगे। आयुक्त ने उन्हें अवगत कराया कि न्यायालय काआदेश कब्जे की सुपुर्दगी के संबंध में है नाकि तारबन्दी करवा के देने हेतू ।
परिषद ने भारी संख्या में उपस्थित लोगों के समक्ष जमीन पर रेड मार्किंग कर कब्जा देने की वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी करवाई है। इस अवसर पर राजस्व अधिकारी पवन कुमार के साथ भारी पुलिस जाब्ता मौजूद था।
आयुक्त नगरपरिषद लजपालसिंह सोढा ने बताया कि “उच्चतम न्यायालय के आदेश की पालना में कब्जा सुपुर्दगी की कार्यवाही की गई है परंतु मौके पर मौजूद आवंटी प्रतिनिधियों द्वारा भूखंड पर नगरपरिषद द्वारा तारबन्दी करवा कर देना चाहा गया । यह अलग प्रक्रिया है। परिषद ने मौके पर मौजूद गवाहों से हस्ताक्षर करवाए हैं।
वादीपक्ष अधिवक्ता विपिन व्यास ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर नगरपरिषद लीपापोती करना चाहती है। कागजों में कब्जा सौंपना चाहती है, जबकि उसे भूखंड पर तारबंदी कर कब्जा देना चाहिए। इस संबंध में न्यायालय में अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।
रिपोर्ट कपिल डांगरा, भीलवाड़ा