
विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के लोकसभा में महा कुंभ पर दिए गए संबोधन पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस भारत की सांस्कृतिक विरासत पर प्रधानमंत्री की बातों का समर्थन करती है, लेकिन इस दौरान जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि न देना दुखद है।
राहुल गांधी ने जताई आपत्ति
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में महा कुंभ को भारत की एकता और ताकत का प्रतीक बताया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी ने कहा, “हम प्रधानमंत्री की इस बात से सहमत हैं कि कुंभ हमारी विरासत और संस्कृति का हिस्सा है। लेकिन हमारी केवल एक शिकायत है – पीएम ने कुंभ में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि नहीं दी।” राहुल गांधी ने इस मौके पर बेरोजगारी के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने कहा कि महा कुंभ में हिस्सा लेने वाले युवाओं को सिर्फ तारीफ ही नहीं, बल्कि रोजगार भी चाहिए। “जो युवा कुंभ में गए, वे प्रधानमंत्री से एक और चीज़ की उम्मीद कर रहे हैं – रोजगार।”
लोकसभा में विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप
संसद में विपक्ष को बोलने से रोके जाने पर कटाक्ष करते हुए राहुल गांधी ने कहा, “लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत विपक्ष के नेता को बोलने का अधिकार मिलना चाहिए, लेकिन हमें बोलने नहीं दिया जाता। यही है ‘नया भारत’।”
PM मोदी ने कुंभ की भव्यता को सराहा
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महा कुंभ को भारत की एकता और सांस्कृतिक धरोहर का भव्य प्रतीक बताया था। उन्होंने इस आयोजन की सफलता में योगदान देने वाले सरकारी कर्मचारियों और स्वयंसेवकों को धन्यवाद दिया। मोदी ने कहा, “महा कुंभ की सफलता में कई लोगों की भूमिका रही है। मैं सरकार और समाज के सभी ‘कर्मयोगियों’ का आभार व्यक्त करता हूं।” प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि प्रयागराज में 45 दिनों तक चले इस आयोजन में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी के संगम में स्नान किया।
एकता का संदेश, लेकिन विवाद भी
वैश्विक संघर्षों और बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के बीच, मोदी ने महा कुंभ को भारत की एकता का उदाहरण बताया और कहा, “इस एकता का भव्य प्रदर्शन हमारी सबसे बड़ी ताकत है।”
हालांकि, इस आयोजन को लेकर कुछ विवाद भी सामने आए। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के स्नान के दौरान मची भगदड़ में 30 लोगों की जान चली गई, सरकारी आंकड़ों के अनुसार। वहीं, विपक्ष का दावा है कि मृतकों की संख्या इससे कहीं अधिक है।
महा कुंभ: भव्य आयोजन लेकिन अनदेखी मुद्दों पर सवाल
जहां एक ओर महा कुंभ को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से ऐतिहासिक बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसमें हुई त्रासदी और इससे जुड़े मुद्दों पर सरकार की चुप्पी सवालों के घेरे में है।