अयोध्या। इस साल अयोध्या (Ayodhya) में दिवाली की तैयारियां अपने चरम पर हैं, खासकर इस लिए कि राम मंदिर में पहली बार मनाई जा रही है। इस पावन अवसर पर सरयु के घाटों को 28 लाख दीयों से सजाया जाएगा, जो न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है।
हिंदू धर्म में दीपावली का विशेष स्थान है। मान्यता है कि भगवान राम, जब वनवास से लौटे और लंकापति रावण का वध किया, तब अयोध्या के निवासियों ने खुशी के मारे दीप जलाए थे। इस परंपरा को हर साल दिवाली के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष, अयोध्या में दीपोत्सव का आठवां संस्करण आयोजित हो रहा है, और योगी आदित्यनाथ सरकार इसे बड़े धूमधाम से मना रही है।
अयोध्या के राम मंदिर की पहली दिवाली पर 28 लाख इको-फ्रेंडली दीये जलाए जाएंगे। इन दीयों को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि वे मंदिर प्रांगण और दीवारों पर कोई निशान नहीं छोड़ेंगे। और लंबे समय तक जलते रहेंगे। ये दीये कार्बन उत्सर्जन को कम करने वाले वैक्स से बने होंगे, जिससे मंदिर को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। सरयु नदी के 55 घाटों पर दीये जलाने के लिए 30,000 से अधिक वॉलंटियर्स इस कार्य में जुटे हैं। इसके अलावा, 80,000 दीयों से स्वास्तिक का चिह्न बनाना भी इस दीपोत्सव का एक प्रमुख आकर्षण होगा।
विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी
30 अक्टूबर को छोटी दिवाली पर अयोध्या में 28 लाख दीप जलाकर एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाने की योजना है। यह आयोजन न केवल भक्ति का केंद्र बनेगा, बल्कि स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का भी एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करेगा। इस दिवाली, अयोध्या की रोशनी और भक्ति से भरी इस अद्भुत परंपरा का हिस्सा बनने के लिए तैयार रहें।