‘भव्य हिंदवी स्वराज्य महोत्सव 2024’ पुणे में

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श्री छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित और आदर्श सोच से एक कुशल प्रगतिशील प्रशासन की स्थापना करके मराठी साम्राज्य की नींव रखी। उनके द्वारा युद्ध शास्त्र में कई नई अवधारणाएँ पेश की गईं। साथ ही ‘गनिमी कावा’ की एक नई शैली भी विकसित की।

ऐसे महान राजा, मराठी मानस की अस्मिता, हमारे आराध्य देवता, श्री छत्रपति शिवाजी महाराज की 394वीं जयंती हम इस वर्ष 19 फरवरी को मना रहे हैं। पुणे जिले के जुन्नर शहर में महाराष्ट्र सरकार के पर्यटन विभाग और पुणे जिला प्रशासन की ओर से 17 से 19 फरवरी 2024 तक ‘हिंदवी स्वराज्य महोत्सव 2024’ मनाया जा रहा है।

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने वर्ष 2023-24 के अपने बजट भाषण में महाराष्ट्र में पांच स्थानों पर छत्रपति शिवाजी महाराज की गतिविधियों पर आधारित संग्रहालय और थीम पार्क के निर्माण की घोषणा कीय इसमें गोराई, बुलढाणा, छत्रपति संभाजी नगर, नासिक और रामटेक में 5 स्थानों पर छत्रपति शिवाजी महाराज संकल्पना उद्यान (थीम पार्क) और संग्रहालय स्थापित किया जाएगा।

गोराई (मुंबई) में महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम की जगह पर किया गया अनधिकृत निर्माण हटा दिया गया है और अब छत्रपति शिवाजी महाराज के 25 एकड़ क्षेत्र में उनके युद्ध कौशल के संबंध में एक युद्ध संग्रहालय (युद्ध संग्रहालय) स्थापित किया जा रहा है।

बुलढाणा में सिंदखेड राजा में राजमाता जिजाऊ संग्रहालय, छत्रपति संभाजीनगर में धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज संग्रहालय, नासिक में छत्रपति शिवाजी महाराज रॉयल आर्ट संग्रहालय, रामटेक में छत्रपति शिवाजी महाराज हिंदवी स्वराज्य संग्रहालय के लिए प्रत्येक को 50 करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया गया हैं।

इस शिव सृष्टि, उद्यान और संग्रहालय, थीम पार्क के माध्यम से आने वाली पीढ़ियाँ राजमाता जिजाऊ, छत्रपति शिवाजी महाराज और धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज के गौरवशाली इतिहास के साथ-साथ महाराष्ट्र के गौरवशाली इतिहास का अनुभव कर सकेंगी।

राज्य में गड़-किलों के विकास को बढ़ावा मिलेगा : गिरीश महाजन

पर्यटन मंत्री गिरीश महाजन ने कहा, मराठी साम्राज्य और हमारी संस्कृति का इतिहास राज्य के 400 से अधिक गड़ किलों के ईर्द गिर्द है। राज्य में गिरिदुर्ग, भूदुर्ग, जलदुर्ग के संरक्षण और संवर्धन के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार के अलग-अलग कानून हैं। किलों के संरक्षण के साथ-साथ उन स्थानों को छोड़कर, जो केंद्र और राज्य सरकार के साथ पंजीकृत हैं और निजी स्वामित्व वाले हैं, अपंजीकृत किलों का विकास करना आवश्यक है। सरकार राज्य में किलों के विकास को प्राथमिकता दे रही है।

शिवनेरी किले के विकास का प्रयास करेंगे

पर्यटन नीति 2016 के तहत पर्यटन विभाग ने शिवनेरी किले के विकास के लिए कई फैसले लिए हैं. इस क्षेत्र में कृषि पर्यटन केन्द्रों को पंजीकरण प्रमाण पत्र भी दिया गया है. पर्यटन अध्यादेश 2016 के तहत 21 मार्च 2018 को जुन्नर तालुका को विशेष पर्यटन क्षेत्र घोषित किया गया है. विशेष पर्यटन क्षेत्रों को विभिन्न रियायतें दी गई हैं.

शिवनेरी किले के विकास के लिए केंद्र सरकार के अधिनियम के प्रावधानों में बदलाव कर किले को रायगढ़ किले की तरह विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही भविष्य में किले के तलहटी तक पहुंच मार्ग, पर्यटकों के लिए श्री छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित सूचना केंद्र, पार्किंग, सूचना बोर्ड, स्वच्छता गृह लाइट एंड साउंड शो, सौंदर्यीकरण को प्राथमिकता देने की मंशा है। शिवनेरी किले की भव्यता देखते ही बनती है।

राज्य में गड़ एवं किलों का संरक्षण और संवर्धन

मराठा शासन काल के दौरान, उस समय के शासकों ने अद्वितीय उपलब्धि हासिल की, इन उपलब्धियों की गवाही देने वाले महाराष्ट्र के अभेद्य किले आज भी हमें अपने अस्तित्व के माध्यम से उनके अतीत के गौरव का प्रमाण देते हैं. सह्याद्रि, कोंकण तट और दख्खन पठार पर स्थित इन किलों का भौगोलिक, सांस्कृतिक महत्व है.

यह गड़ किले मुख्य पर्यटक आकर्षण है. राज्य में गिरिदुर्ग, भूदुर्ग, जलदुर्ग सहित लगभग 400 किले हैं. केंद्रीय पुरातत्व विभाग के पास 47 किलों का रिकार्ड है. जबकि राज्य पुरातत्व विभाग के पास 51 किलों का रिकॉर्ड है, राजस्व और वन दोनों विभागों के अलावा, 337 किले हैं, जिनमें कुछ निजी स्वामित्व वाले किले भी शामिल हैं. किलों के संरक्षण और विकास के लिए केंद्र और राज्य के अलग-अलग कानून हैं . प्रदेश में किलों के संरक्षण के लिए केन्द्र सरकार से राज्य को अनुमति दिलाने के प्रयास किये जा रहे हैं.

केंद्र एवं राज्य सरकार से पंजीकृत और नीजी मालिकाना स्थानों को छोड़कर किलों के संरक्षण के साथ-साथ अपंजीकृत किलों का विकास करना आवश्यक है. राज्य में किलों के तलहटी में पहुंच मार्ग, पर्यटकों के लिए सूचना केंद्र, पार्किंग, सूचना बोर्ड, स्वच्छता गृह , पर्यटन स्थल सूचना केंद्र, क्षेत्र का सौंदर्यीकरण, स्थानीय खाद्य एवं सामान विक्रय केंद्रों के कार्यों को प्राथमिकता देने की सरकार की मंशा है. पर्यटन के लिए जिला वार्षिक योजना, सीएसआर एवं क्षेत्रीय पर्यटन योजनाओं के माध्यम से किले के विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है.

विश्व धरोहर की सूची में होंगे शामिल

श्री छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता के गवाह रहे महाराष्ट्र के 11 किलों को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल करने का केंद्र सरकार ने यूनेस्को को प्रस्ताव दिया है. इसमें महाराष्ट्र के 11 किले शामिल हैं, रायगड़, शिवनेरी, लोहगढ़, साल्हेर, खांदेरी, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग आदि महाराष्ट्र के 11 किलों का समावेश है. छत्रपति शिवाजी महाराज के पराक्रम और वीरता के गवाह ये सभी किले विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल होने की प्रक्रिया में है.

गड़-किलों के लिए भावी योजनाएं

गड़ किलों और इतिहास को नई पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में पर्यटन का आयोजन करना. गडकिल्ले में एनसीसी, एनएसएस और एमसीसी छात्रों के शिविरों का आयोजन, स्थानीय निकायों की मदद से वन संरक्षण, स्थानीय स्थानों पर निवास योजनाओं को बढ़ावा देना. सरकार राज्य के किलों को अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देने का प्रयास सरकार की ओर से किया जा रहा है।

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