पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध में खोता जा रहा आज का युवा

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आज का युवा वर्ग पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध में अपने धर्म, कर्म, कर्तव्य, सभ्यता से विमुख होता जा रहा है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए पूज्य संत आशारामजी से प्रेरणा लेकर श्री योग वेदान्त सेवा समिति कल्याण पिछले कई सालों से 14 फरवरी वेलेंटाइन डे को माता पिता का पूजन कर मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मना कर युवाओं व बच्चो को अपनी प्राचीन संस्कृति व सभ्यता की ओर मोड़ने का काम कर रही है।

श्री योग वेदांत सेवा समिती कल्याण द्वारा कल्याण पश्चिम में मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम 14 फरवरी शाम 5 बजे से यशवतराव चव्हाण मैदान (मैक्सी ग्राउंड), संतोषी माता रोड़, पे बच्चों ने अपने माता पिता का एक साथ सामूहिक पूजन किया। सैकड़ो बच्चों ने अपने माता पिता को आसन पर बिठा तिलक कर, पुष्प वर्षा, फूल माला पहना आरती कर पूजा की। माता पिता बच्चों को अपना पूजन करते देख भाव विभोर हो गए। सैकड़ो बच्चों ने अपने माता-पीताओं का पूजन किया।

साधक शिष्या रेखा दीदी कराया पूजन

आसाराम बापू के कृपा पात्र साधक शिष्या रेखा दीदी द्वारा भावपूर्ण व स्नेह मयी वातावरण में पूजन कराया गया । उन्होने बच्चो को संबोधित करते कहा कि युवा वर्ग पश्चिमी संभ्यता के प्रतीक वेलेंटाइन डे को मनाने के स्थान पर 14 फरवरी को अपने माता पिता का पूजन कर मातृ पितृ पूजन दिवस को मनाकर भारत की संस्कृति सभ्यता की जड़ों को और मजबूत करने का काम करे।

संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा करवाए गए इस सुंदर भावपूर्ण कार्यक्रम में भाग लेकर उपस्थित धर्म प्रेमियों ने आयोजको का हृदय से धन्यवाद किया। यह कार्यक्रम बुधवार को करवाया गया।भारत की युवा पीढ़ी संस्कारी बने और चरित्रवान बने ऐसा प्रयास समिति द्वारा किया गया।

समिति के सक्रिय सदस्यों की रही अहम भूमिका

इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र प्रदेश श्री योग वेदांत सेवा समिति संचालक सत्येंद्र भाई जी, परहित चेरिटेबल सोसायटी के अध्यक्ष विशालकुमार गुप्ता, गणपति प्रसाद कुड़ियल, राजेश बवासकर , मदन सिंह खत्री, कैलाश पाल, भगवान लाड, चंद्रकांत पाटील, कमलेश पंजाबी संतोष भाई, चतुर्वेदी, सुरेश भाटिजा, विशाल भाई, राम अवध यादव, हरिओम पांडे ,हरीश यादव, पंकज भाई दमानी , हरहा यादव अन्य आदि उपस्थित रहें।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ में 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप मनाने की घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि मैं भी आज सीएम हूं, तो अपने माता-पिता के आर्शीवाद से ही हूं। आसाराम बापू का ये आइडिया दो साल पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को बहुत पसंद आया, उन्हें मालूम था कि उनके शिखर पुरुषों को भी पसंद आएगा, इस तरह मातृ-पितृ पूजन दिवस ‘सेक्युलर डेमोक्रेटिक’ भारत के एक राज्य में सरकार प्रायोजित कार्यक्रम बन गया।

2007 में की शुरू की थी ‘मातृ-पितृ दिवस’

माता-पिता पूजन दिवस, जिसे मातृ पितृ पूजन दिवस (मातृ पितृ पूजन दिवस भी) के रूप में जाना जाता है, की शुरुआत आसाराम बापू ने 2007 में वेलेंटाइन डे के विकल्प के रूप में की थी। यह हर साल 14 फरवरी को मनाया जाता है। यह माँ (मातृ, मातृ) और पिता (पितृ, पित्त) के लिए संस्कृत शब्दों पर आधारित है।

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