उदयपुर. प्रदेश में मानसून की सक्रियता के चलते मेवाड़ अंचल में हरियाली की चादर बिछ गई है. उदयपुर जिले में फैली अरावली पर्वतमाला के सूने पड़े रहने वाले पहाड़ हरियाली से आच्छादित होने लग गये हैं. जोरदार बारिश से नदी नाले उफान पर हैं. पहाड़ियां और झीलें बरबस अपनी ओर मोह रही हैं. मेवाड़ में लगभग हर बार ही मानसून की मेहर रहती है. उसके बाद यहां के पहाड़ों और जंगलों में छाने वाली हरियाली को निहारने के लिये देसी-विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा लग जाता है. पहाड़ों पर उतरे बादलों को देखते के लिये अच्छी खासी भीड़ जुटती है, लेकिन इस बार यहां सन्नाटा है. हां, ये जरूर है कि यहां सुकून भरी शांति है.
लगातार हो रही बारिश के कारण छोटे पौधों पर से लेकर बड़े पेड़ों पर नई कोपलें फूट रही हैं. आम दिनों में नग्न से रहने वाले पहाड़ अब हरे-भरे हो रहे हैं. कभी हल्की तो कभी भारी बारिश के कारण चारों तरफ हरियाली की चादर देख मन मयूर नाच उठता है. बारिश के कारण नदी नालों में पानी की अच्छी खासी आवक हो रही है. ताल तलैये भर रहे हैं. पहाड़ियों और जंगलों के बीच पानी की कल-कल करती आवाज हर किसी का मन मोह लेती है, लेकिन कोरोना ने पर्यटकों के कदम थाम रखे हैं.
झीलों की नगरी में छोटी झीलें छलकने को बेताब हैं, वहीं बड़ी झीलों में जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. उदयपुर शहर की जान फतेह सागर का पाल का नजारा बारिश के समय देखते ही बनता है. फतहसागर पाल पर होती रिमझिम बारिश मन को एक अलग ही सूकून देती है. मेवाड़ संभाग का सबसे बड़ा माही बांध तो गत दो-तीन दिनों में हुई जबर्दस्त बारिश से छलक उठा है. उदयपुर संभाग के बांसवाड़ा जिले में स्थित इस बांध के रविवार को सभी 16 गेट खोले जा चुके हैं. बांध का यह नजारा देखने के लिये लोगों का मन मचल उठता है. क्योंकि बांध के छलकने के मौके कम ही आते हैं. झीलों पर छाये बादल देखकर मन को एक अलग ही अहसास होता है. बादलों और झीलों के मिलन का यह अनूठा नजर हर किसी को आश्चर्यचकित कर देता है. फतेहसागर झील और बादलों के मिलन का अनूठा नजारा.
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