
भीलवाड़ा (Bhilwara) शहर के आजाद नगर स्थित गौतम आश्रम (Gautam Ashram) में गतिमान पर्यूषण पर्व के आठवें दिन संवत्सरी पर्व पर आयोजित प्रवचन में आचार्यश्री सुदर्शन लाल म.सा. ने फरमाया कि संवत्सरी आत्मावलोकन और आत्मालोचना का पर्व है। यह दिन अपनी भूलों को पहचानने और सुधारने का है। उन्होंने कहा कि किसी के प्रति कषाय की अधिकतम उम्र एक वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए, अन्यथा सम्यग दर्शन खंडित हो जाता है। हुक्मीचंद खटोड़ ने बताया कि अंतगड सूत्र के अंतिम अध्याय की विवेचना करते हुए मुनि श्री भव्य दर्शन म.सा. ने कहा कि राग और द्वेष ही इस संसार के युद्धों और क्लेश का कारण हैं। उन्होंने संवत्सरी पर्व पर आह्वान किया कि हमें जीवन को केवल बिताना नहीं, बल्कि सार्थक रूप से जीना है ताकि समाज हमें याद रखे। उन्होंने यह भी कहा कि क्षमा उसी से मांगनी चाहिए जिससे आपकी बोलचाल बंद हो चुकी है, तभी यह पर्व वास्तविक रूप से सार्थक होगा। कार्यक्रम के अंत में बालिका मंडल ने एक प्रेरक नाटिका प्रस्तुत की, जिसमें बच्चों को धार्मिक संस्कार देने की महत्ता पर जोर दिया गया। इस अवसर पर करीब 100 से अधिक अठाई की तपस्या करने वाले तपस्वियों का सम्मान किया गया। साथ ही 1008 तेले के तपस्वियों के लिए 30 लकी ड्रॉ के इनाम भी निकाले गए। कार्यक्रम के प्रयोजक पारस मल खटोड़ (थांवला), फतेराज खटोड़, हंसराज खटोड़, आर. के. जैन, ज्ञानचंद तातेड़ और संजय खमेंसरा रहे। पूरे दिन श्रद्धालु आत्मिक शांति और भक्ति भाव में सराबोर रहे।