नई दिल्ली (New Delhi) सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उन्नाव दुष्कर्म मामले में पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित करने संबंधी दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने साफ किया कि विशेष परिस्थितियों को देखते हुए सेंगर को फिलहाल जेल से रिहा नहीं किया जा सकता।दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर को सेंगर की अपील लंबित रहने तक उसकी उम्रकैद की सजा पर रोक लगाते हुए यह कहते हुए सशर्त जमानत दी थी कि वह सात साल पांच महीने की सजा पहले ही काट चुका है। हालांकि, वह अभी भी जेल में है क्योंकि पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में उसे 10 साल की सजा सुनाई जा चुकी है और उस प्रकरण में उसे जमानत नहीं मिली है।इस आदेश को चुनौती देते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे, ने सुनवाई के दौरान कहा कि सेंगर को हिरासत से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा।पीठ ने टिप्पणी की कि सामान्य परिस्थितियों में बिना दोषी या आरोपी को सुने सजा निलंबन जैसे आदेशों पर रोक नहीं लगाई जाती, लेकिन इस मामले में अलग परिस्थितियां हैं क्योंकि आरोपी एक अन्य गंभीर अपराध में भी दोषी ठहराया जा चुका है। ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाना उचित है।सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कुलदीप सिंह सेंगर को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश भी दिया।सुनवाई के दौरान CBI की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले को “बेहद भयावह” बताते हुए कहा कि न्याय व्यवस्था को पीड़िता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। उन्होंने हाईकोर्ट द्वारा सजा निलंबित किए जाने का विरोध किया और कहा कि दुष्कर्म जैसे अपराधों के लिए कानून में कड़ी सजा का प्रावधान है।हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दुष्कर्म से जुड़े कानून में सजा बढ़ाने वाला संशोधन इस मामले में अपराध की तारीख के बाद लागू हुआ था, इसलिए उसे पूर्व प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता।CBI ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि हाईकोर्ट ने यह कहा कि घटना के समय विधायक रहे सेंगर को POCSO कानून के तहत सार्वजनिक सेवक मानकर अभियोजन नहीं चलाया जा सकता।इस दौरान अदालत ने सोशल मीडिया पर चल रहे कथित ‘ट्रायल’ पर भी नाराजगी जताई। जब यह बताया गया कि हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के साथ साझा की जा रही हैं, तो मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालतें किसी “हाथी दांत के टावर” में नहीं बैठीं हैं और उन्हें यह भी पता है कि इस पूरे मामले में राजनीतिक लाभ लेने की कोशिशें हो सकती हैं।पीठ ने यह भी कहा कि न्यायिक व्यवस्था में फैसलों की समीक्षा और आलोचना की प्रक्रिया मौजूद है, लेकिन दबाव बनाकर या अदालत के बाहर बयानबाजी करके न्यायपालिका को प्रभावित करने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए। अदालत ने दो टूक कहा कि बहस अदालत के भीतर होनी चाहिए, न कि सोशल मीडिया या सार्वजनिक मंचों पर।सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि कुलदीप सिंह सेंगर फिलहाल जेल में ही रहेगा और मामले की आगे की सुनवाई के बाद ही उसकी अपील पर कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
New Delhi : Unnao Rape Case: Supreme Court ने कुलदीप सिंह सेंगर को राहत देने वाले हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई
Jagruk Times is a popular Hindi newspaper and now you can find us online at Jagruktimes.co.in, we share news covering topics like latest news, politics, business, sports, entertainment, lifestyle etc. Our team of good reporters is here to keep you informed and positive. Explore the news with us! #JagrukTimes #HindiNews #Jagruktimes.co.in
Leave a Comment
