
राजसमंद (Rajsamand) शहर के जलचक्की चौराहा पर जैसी ग्रुप की ओर से चल रहे गणपति महोत्सव में गुरुवार रात को मोरचणा के आदिवासी कलाकारों की ओर से मेवाड़ के लोकनृत्य गवरी के किए गए सुरुचि पूर्ण मंचन को देखने के लिए सुबह 6 बजे तक शहरवासी आयोजन स्थल पर जम रहे। ग्रुप के अध्यक्ष व नगर परिषद सभापति अशोक टांक ने बताया कि गणपति बप्पा की प्रतिमा को गुरुवार रात को गिरिराज का आकर्षक श्रृंगार धराया गया। इसके बाद उनकी नित्य आरती के बाद मोरचणा से आए आदिवासी कलाकारों ने गवरी का मंचन शुरू किया। इसके तहत उन्होंने सबसे पहले राधा-कृष्ण के खेल में प्रभु की लीलाओं को मेवाड़ी भाषा और अपने अंदाज में दर्शकों के समक्ष रखा। इसके बाद कालू कीर के खेल का मंचन किया गया। इसमें आदिवासी कलाकारों ने अवैध रूप से मत्स्यखेट मछली पकड़ना नहीं करने पर जागरूक किया। इस खेल में कलाकारों के मेवाड़ी से लेकर हिंदी एवं अंग्रेजी में किए गए संवादों ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया। इसके साथ ही आदिवासी कलाकारों ने खेतुड़ी, राजा-रानी, कांजर-कांजरी, गाडोलिया लोहार, हटिया- हटनी, बाणिया, लाखा बंजारा-बंजारी के हास्य प्रधान खेलों से दर्शकों को खूब ठहाके लगवाए। इन खेलों के माध्यम से कलाकारों ने आम लोगों को पर्यावरण संरक्षण, सभ्यता संस्कृति से लेकर बेटी बचाओ तक की सीख भी प्रदान की। वहीं, बंजारा व मीणा की पारंपरिक लड़ाई का रोचक अभिनय लोक संस्कृति की जीवंत झांकी के रूप में प्रस्तुत हुआ, जिसे दर्शकों को खूब रोमांचित किया। कलाकारों की रोचक प्रस्तुति से दर्शक सुबह 6 बजे तक पंडाल में जम रहने को मजबूर हो गए। कार्यक्रम का संचालक कृषि उपज मंडी अध्यक्ष डालचंद कुमावत ने किया। शोभायात्रा के साथ प्रतिमा विसर्जन आज जेसी ग्रुप की ओर से आयोजित गणेश महोत्सव का समापन शनिवार को प्रतिमा के विसर्जन के साथ होगा। प्रतिमा का विसर्जन जलचक्की से भव्य शोभायात्रा निकाल कर किया जाएगा। इसमें कई आकर्षक झांकियां एवं कलाकार हैरत अंगेज करतब दिखाएंगे
रिपोर्ट – नरेंद्र सिंह खंगारोत
