रानीवाड़ा (Raniwara) उपखंड क्षेत्र के मालवाड़ा सरकारी अस्पताल में कथित गबन के मामले को लेकर शुक्रवार को ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा। सरपंच प्रदीपसिंह देवल के नेतृत्व में बड़ी संख्या में ग्रामीण सुबह से ही अस्पताल परिसर में जमा हो गए और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए करीब दो घंटे तक प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का आरोप है कि अस्पताल में दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों की खरीद में भारी अनियमितताएं की गई हैं तथा सरकारी बजट का दुरुपयोग हुआ है।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि अस्पताल में आने वाले मरीजों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं। कई बार शिकायत करने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। ग्रामीणों ने कहा कि अस्पताल में गबन और भ्रष्टाचार की जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
करीब दो घंटे तक अस्पताल परिसर में नारेबाजी और हंगामे के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने मेन बाजार की ओर कूच किया और वहां धरने पर बैठ गए। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सुबह से प्रदर्शन जारी है, फिर भी कोई प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। इससे लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
इस दौरान सरपंच प्रदीपसिंह देवल ने कहा कि ग्रामीण जनता अस्पताल की स्थिति से बेहद परेशान है। सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच रहा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र ही जांच शुरू नहीं की गई तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
वहीं, प्रदर्शन के दौरान जालोर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) के खिलाफ भी ग्रामीणों ने नाराजगी जताई। लोगों ने कहा कि जिले के शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी की लापरवाही के कारण ही मालवाड़ा अस्पताल जैसी संस्थाएं भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई हैं।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की कि मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों को निलंबित किया जाए और अस्पताल की व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए, ताकि मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। समाचार लिखे जाने तक धरना जारी था और ग्रामीण प्रशासनिक हस्तक्षेप की प्रतीक्षा में डटे हुए थे।
रिपोर्ट – मुकेश लखारा