अतिप्राचीन भाण्डवपुर महातीर्थ में तत्त्वत्रयी प्रतिष्ठोत्सव में पुण्य सम्राट जयन्तसेन सूरीश्वर के पट्टधरद्वय गच्छाधिपति नित्यसेन सूरीश्वर महाराज एवं भांडवपुर तीर्थाद्धारक आचार्य जयरत्न सूरीश्वर महाराज, विमलगच्छाधिपति आचार्य प्रद्युम्नविमल सूरीश्वर महाराज, आचार्य नरेन्द्र सूरीश्वर महाराज आदि विशाल श्रमण श्रमणिवृन्द की शुभ निश्रा में बुधवार को विविध धार्मिक अनुष्ठान्न एवं सांस्कृतिक आयोजन हुए।
मीडिया प्रभारी कुलदीप प्रियदर्शी ने बताया कि प्रातः आठ बजे क्षत्रियकुंड नगरी में तीनों मुमुक्षु रत्नों द्वारा दीक्षा निमित्त उल्लास और उमंग के साथ नृत्य करते हुए केशर छांटी गई।
तत्पश्चात धर्मसभा में भांडवपुर तीर्थाेद्धारक आचार्य जयरत्नसूरी महाराज ने साहित्य विशारद् मुनिराज देवेन्द्र विजय महाराज की 90वें अवतरण दिवस एवं 76वें संयम पर्याय दिवस पर उनका स्मरण करते हुए कहा कि वे साहित्याकाश के उत्कृष्ट स्तम्भ थे।
गच्छाधिपति जयानन्दसूरी, नित्यसेनसूरी, नरेन्द्रसूरी भाण्डवपुर के प्रत्येक कार्य में साथ हैं। जयन्त-देवेन्द्र जब भांडवपुर पधारे थे, तब इसके विकास का स्वप्न संजोया था।
वह आज सम्पूरित हो रहा है। उसमें जयरत्नसूरी ही नहीं अपितु सभी साथ हैं। प्रतिष्ठोत्सव में राज दरबार में भगवान लग्न संस्कार के अन्तर्गत प्रभु की भव्य बारात शोभायात्रा के रूप में निकाली गई। सुप्रसिद्ध विधिकारक सत्यविजय हरण के नेतृत्व में विरलभाई शाह एवं त्रिलोकभाई कांकरिया ने विधिपूर्वक प्रभु का लग्न सम्पन्न करवाया।
कन्यादान के समय सौधर्म इन्द्र-इन्दाणी, राज परिवार के साथ ही सभा में उपस्थित लोगों ने स्वर्ण की बरसात करते हुए कन्यादान किया। साथ ही जीवदया में भी उदारमन से राशि लिखवाई। दोपहर में समकित अष्टप्रकारी पूजा पढ़ाई गई।
साधु संतो का बहुमान
सभा में सनातन वैदिक संस्कृति के पोषक महन्त आशाभारती गोल, महन्त रणछोड़ भारती लेटा, महन्त प्रेमभारती गजीपुरा, महन्त बाबूगिरी पुनासा-देता, महन्त उम्मेदगिरी कोमता, महन्त चैतन्यगिरी पादरा, पीर गंगानाथ के शिष्य किशोरनाथ, महन्त ईश्वरनाथ, महन्त रैवतनाथ उदयपुर आदि सन्त महन्त पधारे। जिनका लाभार्थी परिवारों द्वारा बहुमान किया गया।
भक्ति संध्या का आयोजन
सायं भक्ति में संघवी दीपक-राजेन्द्र करणपुरिया द्वारा भक्ति गीतों की सुन्दर प्रस्तुति दी गई। साथ ही राष्ट्रीय कवि कुलदीप प्रियदर्शी ने गुरु राजेन्द्र, पुण्य सम्राट के गुणानुवाद काव्यपाठ किया। जिसका करतल ध्वनि से स्वागत किया।
श्रोताओं के अनुरोध पर मां पर लिखा गीत दृष्टि डालो सारी सृष्टि पर मां से नहीं बड़ा होता, जिसने मां का दिल दुखाया उसके जीवन में दुखड़ा होता को सुनाया। तो सभी के नेत्र छलक आये। काव्यमयी संचालन ओम आचार्य ने किया।