Jaipur : अ.भा.जा.ब्रा. महासभा आध्यात्मिक प्रकोष्ठ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सीताराम जांगिड़ एक महान भजनोपदेशक है

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Jaipur

जयपुर (Jaipur) सीताराम जांगिड़ टटेरा के पिता का नाम जमन लाल जी जांगिड़ है वर्तमान में आप 45 संगम कॉलोनी सीकर रोड़ जयपुर राजस्थान में निवासरत है। आपका जन्म 1 जुलाई 1956 ग्राम टटेरा जिला सीकर राजस्थान में हुआ। उन दिनों गांव में स्कूल मिडिल तक ही थी गांव के आसपास दूर-दूर तक कोई स्कूल नहीं थी और घर की स्थिति भी कुछ नाजुक थी इसलिए आप कहीं बाहर जाकर पढ़ नही सके और आपने सन् 1978 में अजमेर राजस्थान रोडवेज में सहायक यांत्रिक पद पर नौकरी से अपना केरियर आरम्भ किया।

आपकी धर्मपत्नी सावित्री देवी एक धार्मिक एवं पतिव्रता है जो पति के हर कार्य में छाया की तरह साथ रहकर उत्साह वर्धन करती है। पति-पत्नी दोनों धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवृत्ति के है। आपके तीन पुत्र क्रमशः राकेश जांगिड़, लोकेश जांगिड़ और विकास जांगिड़ है तीनों ही माता-पिता के आज्ञानुवर्ती और संस्कारित है जो अपने पिता द्वारा स्थापित व्यवसाय अंबिका ज्वेलर्स और नागिनो का कार्य तथा अंबिका इंजीनियरिंग वर्क्स टूल रूम का सफलतापूर्वक संचालन कर रहे हैं।
परमात्मा की कृपा से आप दादा बन गये है आपके दो पौत्र मनन जांगिड़ एवं हर्ष जांगिड़ तथा पांच पौत्रियां सोनाक्षी, रिया, दर्शना, उन्नति और राजश्री का भरा-पूरा परिवार है।

अजमेर में आप महासभा पूर्व प्रधान छोटेलाल शर्मा के सम्पर्क में आकर महासभा के कार्यों के बारे में परिचित हुए। इस दौरान आपको नसीराबाद रोड पर जांगिड़ बैंक मैं अध्यक्ष सत्यदेव थानेदार की कार्यकारिणी में 1982 में सेवा करने का मौका भी मिला उसी दौरान आप समाज सेवा से जुड़े जो अबतक जारी है। आपने महासभा के कार्यों से प्रेरित होकर इसकी आजीवन संरक्षक सदस्य संख्या ग्रहण की जिसका सदस्यता क्रमांक S S 20453 है।
सन्1990 में आपका जयपुर में स्थानांतरण हुआ जयपुर में प्रदेश सभा भवन राजस्थान से और समाज की समितियां से समाज बंधुओ से सभी से संपर्क हुआ और सेवा करने का मौका मिला जिसमें उनके बड़े भाई रामेश्वर प्रसाद जांगिड़ टटेरा सामाजिक ज्ञान के गुरु रहे उनके मार्गदर्शन में उन्होंने बहुत कुछ सीखा।

आपको संगीत जगत में दादा शंकर दास, दादा नंदलाल पाथरवाली जैसे महान गायको और विद्वानों का सानिध्य मिला जिसके फलस्वरूप आप अल्प शिक्षित होते हुए शब्दों की रचना का ज्ञान प्राप्त कर कविता बनाना सिखा इसमें संगीत के पंडित भीमसेन शर्मा और दादा गुरु नंदलाल का सहयोग मिला।

आपके माता जी का 1979 में और पिताजी का 1984 में निधन हो गया था। आप सन् 2016 में राजस्थान राज्य पत्र परिवहन निगम से सेवा निवृत होने के बाद अब संगीत, भजन, कविता लिखना एवं भजन गायन में रुचि ले रहे हैं। जनसेवा, समाज सेवा, विद्वान लोगों का सानिध्य प्राप्त करके, वेद शास्त्रों का ज्ञान अर्जित करने की लालसा और हर व्यक्ति के सद्गुणों को धारण करने का प्रयास करना आपका विशिष्ट गुण रहा है। इन्हीं गुणों के फलस्वरूप आज अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा के उप प्रधान, प्रदेश सभा राजस्थान के उपाध्यक्ष और जिला सभा जयपुर में वरिष्ठ उपाध्यक्ष के पदों पर रहकर कुशलता पूर्वक कार्य करके समाज के सामने एक आदर्श स्थापित करने में सफल हो रहे हैं । इसके अलावा जांगिड़ ब्राह्मण सेवा समिति जयपुर में अध्यक्ष पद पर रहकर समाज में व्याप्त कुरितियां एवं अंधविश्वास के विरूद्ध जनजागरण का स्तुत्य प्रयास करना आपकी उपलब्धि रही ।

आप द्वारा लिखित भजन कथा कविता 500 लगभग के पार है उनके कुछ गाने यूट्यूब पर हैं कुछ उनके साथी शिष्यो द्वारा गाए गाए हैं। वे भी आपके द्वारा ही स्वर रचित है। आपने सद्ज्ञान के प्रचार-प्रसार हेतु श्याम चरित्र पुष्प नंबर एक, श्याम चरित्र पुष्प नंबर दो और श्याम जी का इतिहास संगीत रूप में तथा सत्संग गंगा भजन माला यह पुस्तके छपवाकर जन साधारण में वितरण की गई है । जो काफी लोकप्रिय हुई है जिसका लोग लाभ उठा रहे हैं । अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा आध्यात्मिक प्रकोष्ठ अपने भजनोपदेशक पुत्र एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष पर गर्व करती है। और ईश्वर से आपके स्वास्थ्य और दिर्घायु की मंगलकामना व्यक्त करते हैं।

रिपोर्ट – घेवरचंद आर्य

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