
भीलवाडा (Bhilwara) तिरुपति सेवा समिति एवं तिरुपति पदयात्री संघ, भीलवाड़ा के तत्वावधान में पहली बार शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर भव्य तिरुपति रथ पदयात्रा का आयोजन हुआ। इस अवसर पर शहर में आस्था, भक्ति और दक्षिण भारतीय संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। यात्रा का शुभारंभ दोपहर 2 बजे पैच के बालाजी मंदिर से हुआ, जहाँ भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा सजे हुए रथ पर विराजित की गई। पंडित आशुतोष शर्मा और पंडित शिवप्रकाश जोशी ने वैदिक मंत्रोच्चारण से यात्रा का शुभारंभ कराया। रथ यात्रा रेलवे स्टेशन, गायत्री आश्रम चौराहा व जोधड़ास फाटक होते हुए लक्ष्मीपुरा तिरुपति मंदिर पहुँची, जहाँ विशेष आरती और महाप्रसाद का आयोजन हुआ। पूरे मार्ग में भक्त “जय गोविंदा, जय वेंकटेश” के उद्घोष करते हुए नाचते गाते आगे बढ़ते रहे। बैंड बाजों और पुष्पवृष्टि से पूरा नगर भक्तिमय हो उठा। यात्रा में सभी श्रद्धालु दक्षिण भारतीय परिधान में सजे थे कृ महिलाओं ने पारंपरिक साड़ियाँ और पुरुषों ने धोतीदृअंगवस्त्र धारण किए हुए थे। माहौल ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो “दक्षिण भारत उत्तर भारत में उतर आया हो। ”श्रद्धालु परिवार लगभग 8 किलोमीटर पैदल चलकर तिरुपति मंदिर पहुँचे। पूरे मार्ग में भक्तिभाव और “जय गोविंदा” के जयघोष से वातावरण गूंजता रहा, जिससे शहर का हर कोना भक्ति रस में डूब गया। आयोजन को सफल बनाने में सुरेश तोषनीवाल, महेश पुरी, राधेश्याम तोषनीवाल, अनिता गुर्जर, विनिता तोषनीवाल सहित अनेक श्रद्धालुओं का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। समिति ने सभी भक्तों एवं शहरवासियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह यात्रा आने वाले वर्षों में और भी भव्य रूप में जारी रखी जाएगी।
रिपोर्ट – पंकज पोरवाल