बाड़मेर (Barmer) जमीन के नीचे छिपे तेल के भंडार खोजकर देश को ऊर्जा की नई उम्मीद देने वाले बाड़मेर ने अब बरसात की हर बूंद को संजोकर यह साबित कर दिया है कि संसाधन चाहे ऊर्जा का हो या पानी का — मरुस्थल उसे बचाना और संवारना बखूबी जानता है। कभी प्यास, सूखे और पानी की बूंद–बूंद के संघर्ष के लिए पहचाना जाने वाला थार आज उसी जज़्बे और दूरदृष्टि के दम पर पूरे देश को जल संचय का मार्ग दिखा रहा है। बाड़मेर, जहाँ कभी जीवन पानी की तलाश में भटकता था, अब नवाचार, सामुदायिक सहभागिता और प्रशासनिक नेतृत्व के संगम से जल संरक्षण का ऐसा मॉडल बन चुका है, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर मिसाल के रूप में स्वीकार किया जा रहा है। इसी बदलाव की बदौलत बाड़मेर को देश की राष्ट्रपति द्वारा “जल संचय उत्कृष्टता पुरस्कार” से सम्मानित किया गया। 18 नवंबर को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यह पुरस्कार बाड़मेर की जिला कलेक्टर टीना डाबी को प्रदान किया। यह सम्मान इस बात की पुष्टि है कि मरुस्थल की कठिन परिस्थितियों के बीच सामुदायिक नेतृत्व, जनभागीदारी और नवाचार के सहारे बाड़मेर ने जल संरक्षण को विकास और जीवन स्तर सुधार की धुरी बना दिया है। कैच द रेन अभियान के तहत वर्षा जल संग्रहण और जल संरचनाओं के पुनरुद्धार में उत्कृष्ट प्रदर्शन ने बाड़मेर को यह पहचान दिलाई है। भवनों की छतों पर रेनवॉटर हार्वेस्टिंग से लेकर झीलों, तालाबों और बावड़ियों के संरक्षण तक — अभियान के व्यापक प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहते हुए 2 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि भी प्रदान की गई है। बाड़मेर की इस सुनहरी यात्रा में केयर्न ने सशक्त भागीदार के रूप में अहम भूमिका निभाई है। थार क्षेत्र की कठोर जल वास्तविकताओं को बदलने के उद्देश्य से केयर्न ने जिला प्रशासन और समुदायों के साथ मिलकर नाड़ियों, खड़ीनों और वर्षा जल संग्रहण संरचनाओं का व्यापक पुनर्जीवन किया, जिससे भूजल स्तर में उल्लेखनीय सुधार हुआ और ग्रामीण आजीविका को स्थिर आधार मिला। बाड़मेर उन्नति” परियोजना के माध्यम से केयर्न ने वाड़ी, रेनवॉटर हार्वेस्टिंग, चारागाह विकास और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन जैसे हस्तक्षेपों को सतत विकास मॉडल के रूप में आगे बढ़ाया। कंपनी ने 30 से अधिक नाड़ी, 1,000 खडीन और 90 वर्षा जल संचयन संरचनाएं बनाकर, जल स्तर में वृद्धि और दीर्घकालिक जल सुरक्षा को मजबूत किया है। इन पहलों ने न सिर्फ पानी की उपलब्धता बढ़ाई है, बल्कि किसानों और ग्रामीण समुदायों की आजीविका सुरक्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके परिणामस्वरूप 145 गाँवों और 36 ग्राम पंचायतों के 10,000 से अधिक किसान परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त हुआ। हर वर्ष लगभग 3.4 मिलियन घन मीटर जल पुनर्भरण के वैज्ञानिक और मापनीय परिणामों ने सिद्ध किया है कि उद्योग, प्रशासन और समुदाय की त्रिपक्षीय साझेदारी जल संरक्षण में ऐतिहासिक परिवर्तन ला सकती है। “नाड़ी, खड़ीन और वर्षा जल संरचनाओं के पुनर्जीवन से हर साल लगभग 3.4 मिलियन घन मीटर भूजल रिचार्ज होना इस बात का प्रमाण है कि जब उद्योग, प्रशासन और समुदाय साथ खड़े हों तो मरुस्थल भी जल-समृद्ध भविष्य गढ़ सकता है। बाड़मेर के लिए यह गर्व का क्षण है कि हमने जिला प्रशासन और ग्रामीण समुदायों के साथ मिलकर निजी कंपनियां थार को जल प्रबंधन का राष्ट्रीय मॉडल बनाने में योगदान दे रही है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण और जनभागीदारी ने मिलकर यह साबित किया है कि मरुस्थल की जल चुनौती भी स्थायी विकास के अवसर में बदली जा सकती है।
रिपोर्ट – ठाकराराम मेघवाल
