Barmer : जीवन के सन्नाटे में अवसर खटखटाते हैं – AP Gaur

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बाड़मेर (Barmer)’’रोज़गार की आपाधापी में व्यक्ति स्वयं की आत्म सन्तुष्टि को दरकिनार कर लेता है, जबकि स्वयं के शरीर, मन और आत्मा के लिये समय निकालना उतना ही आवश्यक है जितना दूसरों के लिये…., जीवन के सन्नाटे में अवसर स्वयं चलकर आपका द्वारा खटखटाते हैं, ज़रूरत केवल उसे पहचानने की है ताकि समय पर उसका सदुपयोग किया जा सके….।’’ इन उद्गारों के साथ कहानीकार, व्यंग्यकार, उपन्यासकार और रंगकर्मी अयोध्या प्रसाद गौड़ ने लेखनी के धारा कार्यक्रम में विचार व्यक्त करते हुए अपने लेखन के आग़ाज़ को उजागर किया।लेखनी के अध्यक्ष कवि और रंगनिर्देशक प्रमोद वैष्णव ने बताया कि नेहरू पार्क स्थित डाॅ. मदन-सावित्री डागा साहित्य सभागार में आयोजित द्विमासिक कार्यक्रम धारा में शहर के साहित्य प्रेमियों के समक्ष लेखक की सृजन यात्रा के दौरान परिस्थितियां, अवसर, सोच, मनोदशा के साथ उसके लेखन की उपयोगिता को व्यक्त करने के लिये आमन्त्रित अतिथि अयोध्या प्रसाद गौड़ ने विद्यार्थी जीवन की अप्रकाशित रचनाओं के सृजन के साथ चील समाचार पत्र से प्रारम्भ पत्रकारिता के सफर से रंगकर्म और लेखन का वृतान्त प्रस्तुत किया। प्रकाशित पुस्तकों में मारवाड़ की अंतिम महारानी कृष्णा कुमारी जी के जीवन और समय के बारे में एक बायोग्राफिक उपन्यास ’द रॉयल ब्लू’, मेगा लाइट एंड साउंड शो के लिए रूपांतरित दूसरी पुस्तक ‘दुर्ग गाथा‘, पत्रकारिता के अंधेरे पक्ष को उजागर करने वाली व्यंग्य कहानियों का संकलन ‘चौथा धंधा‘ तथा प्रसिद्ध लेखिका रोशनी राजाराम के साथ चौथी पुस्तक, ‘द वल्चर‘स फीस्ट, ए स्टोरी ऑन द इंडियन मीडिया‘ का सह-लेखन, शब्द चित्रों का संकलन ‘‘पांखी, पिंटू और रामप्यारी‘‘ तथा ताजा पुस्तक रामचरितमानस पर आधारित नाट्य स्क्रिप्ट ‘‘मानस रामलीला‘‘ है जिसका मंचन लाइट एंड साउंड शो के रूप में भारत में जगह जगह हो रहा है, वर्तमान में इतिहासविद् प्रोफेसर ज़हूर खां मेहर के साथ मारवाड़ का इतिहास के पाॅडकास्ट में संस्मरण साझा करने के साथ गिद्धों का महाभोज कहानी का वाचन भी किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथि का माला, शाॅल व स्मृति चिन्ह से अभिनन्दन किया तथा रंगकर्मी मज़ाहिर सुलतान ज़ई ने ए.पी.गौड़ के लेखन का परिचय प्रस्तुत किया। दो घण्टे तक चले इस कार्यक्रम में शाइर और अफ़साना निगार हबीब कैफ़ी, कहानीकार डाॅ. हरीदास व्यास, डाॅ. हरिप्रकाश राठी, कवयित्री डाॅ. पद्मजा शर्मा, गीतकार दिनेश सिन्दल, डाॅ. फतेहसिंह भाटी, गोल्डी बिस्सा, विजेन्द्र शर्मा, प्रतीक मूथा, अशफ़ाक़ अहमद फौजदार, आशा पाराशर, डाॅ. रेणुका श्रीवास्तव, डाॅ. मनीषा डागा, डाॅ. गीतान्जलि व्यास, रेणु वर्मा, मोहनदास रूक्मेय, ओम प्रकाश गोयल, गौतम के. गट्स, कल्याण विश्नोई, अरमान जोधपुरी, मोईनुद्दीन, सत्येन्द्र सिंह चारण के साथ सृजनधर्मी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन राजस्थानी भाषा के साहित्यकार और संयोजक वाजिद हसन क़ाज़ी ने किया, आभार प्रमोद वैष्णव ने तथा सहयोग मोहम्मद सुलैमान, अद्वैत बोहरा तथा रहमतुल्लाह का रहा।

रिपोर्ट – ठाकराराम मेघवाल

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