पुस्तक समीक्षा
पुस्तक नाम: आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा
संकलन कर्ता : मदनलाल अनेजा
प्रकाशक: मानव संस्कार फाऊंडेशन
मूल्य: निःशुल्क ज्ञान प्रकाश
पाली (Pali) देश में अज्ञानता के कारण योग और आध्यात्मिकता का व्यवसायीकरण होने से समाज में प्रार्थना, उपासना और ध्यान को लेकर विभिन्न भ्रान्तियां फैली हुई हैं। अधिकतर मनुष्य संस्कृत भाषा एवं ज्ञान के अभाव में वेद, उपनिषद, दर्शन आदि सनातन वैदिक धर्म ग्रन्थों का स्वाध्याय नहीं कर पा रहे हैं।
ईश्वर, जीव, प्रकृति, सृष्टि, धर्म, योग, ध्यान, उपासना आदि विषयों के शुद्ध ज्ञान से वंचित रहते हैं। फलस्वरूप वे आध्यात्मिक शोषण व अन्धविश्वास के शिकार हो जाते हैं। इसलिए वे वेद और योगदर्शन के अनुसार प्रार्थना, उपासना, सन्ध्या व ध्यान नहीं कर पा रहे हैं।
पुस्तक का परिचय देने से पूर्व मैं संकलन कर्ता मदन लाल अनेजा का पाठकों को परिचय करवाता हूं आपका जन्म 10 मार्च 1952 को जिला रामपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ। आप सुप्रीम कोर्ट ऑफ इण्डिया में 22 वर्ष सेवा करने के बाद संयुक्त रजिस्ट्रार के पद से वी० आर० एस० के अंतर्गत सेवानिवृत्त हुयें। 1999 में पुनः राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में संयुक्त रजिस्ट्रार (विधि) के पद पर 12 वर्ष 6 मास एवं सलाहकार (विधि) के पद पर 2 वर्ष 6 मास तक आयोग की सेवा की।
आपके द्वारा संकलित एवं लिखित पुस्तकें (1) योग चिन्तन-जप एवं ध्यान, (2) वैदिक सन्ध्या व यज्ञ विधि, (3) जीवन निर्माण एवं उपासना में ब्रह्मचर्य का महत्त्व, (4) प्रार्थना उपासना विधि एवं (5) वैदिक विचार संग्रह भाग-1, (6) वैदिक विचार संग्रह भाग 2, (7) वैदिक विचार संग्रह भाग 3, (8) वैदिक प्रार्थनाएँ एवं धार्मिक कर्म और (9) आध्यात्मिक ज्ञान (सरल परिचय) पाठकों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही हैं। आप समाज में फैली भ्रान्तियों का निराकरण करके ईश्वर स्तुति, प्रार्थना, उपासना व ध्यान विधि आदि पुस्तके सरल भाषा में लिखकर ज्ञान प्रकाश फेलाने के उद्देश्य से निःशुल्क वितरण कर रहे हैं। www.manavsanskar.com से निःशुल्क डाउनलोड करके लाभ उठा सकते हैं। प्रस्तुत पुस्तक को विद्वान लेखक ने सात भागों में बांटकर साधकों को प्रश्नोत्तर शेली में समझाने का स्तुत्य प्रयास किया है। 1 में ईश्वर सम्बन्धित शुद्ध ज्ञान पेज 1से 5 तक, 2.में जीवात्मा सम्बन्धित शुद्ध ज्ञान पेज 6 से 12 तक, 3.में प्रकृति/सृष्टि सम्बन्धित शुद्ध ज्ञान पेज 13 से 17 तक, 4.मे़ं वेद सम्बन्धित शुद्ध ज्ञान पेज 18 से 24 तक, 5.में धर्म सम्बन्धित शुद्ध ज्ञान पेज 25 से 32 तक 6.में अध्यात्म हेतु और जानकारी पेज 33 से 41तक, 7.में योग सम्बन्धित शुद्ध (सामान्य) ज्ञान पेज 41 से 50 तक, और 8. में योग सम्बन्धित गूढ़ ज्ञान पेज 51 से 99 तक। आध्यात्मिक की और कदम बढ़ाने वाला कोई भी साधक जब तक उपर वर्णित सात भागों का ज्ञान प्राप्त नहीं करता तब तक आध्यात्मिकता के प्रति श्रद्धा और रचि जागरूक नहीं होती। “आध्यात्मिक ज्ञान- सरल परिचय” पुस्तक में वेद, उपनिषद, दर्शन आदि ग्रन्थों के आधार पर उपरोक्त विषयों की जानकारी सरल हिन्दी भाषा में, प्रश्न-उत्तर के रूप में, दी गई है. जिससे आत्मकल्याण की भावना वाले साधकों की अध्यात्मिक भ्रान्तियों का समाधान करने का प्रयास किया गया है। जिससे साधक इसी जन्म में अध्यात्म में उन्नति कर ईश्वर साक्षात्कार कर मोक्ष पद प्राप्त कर सकें। ईश्वरीय आनन्द को प्राप्त कर सकें। निःसन्देह इन विषयों की विस्तृत जानकारी के लिए आर्ष ग्रन्थों का स्वाध्याय करना अधिक उत्तम होगा। यदि हम और हमारा समाज उपरोक्त शुद्ध ज्ञान से अवगत हो जाते हैं तो, आध्यात्मिक क्षेत्र में, हमारे समाज के लिए यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी, समाज में फैली भ्रान्तियों का निराकरण होगा परिणाम स्वरूप समाज में व्याप्त अंधविश्वास ढोंग और अविश्वास समाप्त होंगे और इससे सनातन वैदिक संस्कृति की रक्षा होगी। मुझे पूर्ण विश्वास है कि प्रस्तुत पुस्तक में दी गई संक्षिप्त जानकारी साधकों को आध्यात्मिक के प्रति प्रेरित करेगी और उनको जानकर उपासना, जप व ध्यान सफलता पूर्वक करने में भी सहायक होगी।
रिपोर्ट – घेवरचंद आर्य
