
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को अपना फैसला सुना दिया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इस पर रोक लगा दी है। सीजेआई ने एकमत से फैसला देते हुए कहा कि एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से जानकारी सार्वजानिक करनी होगी।
एसबीआई ये जानकारी ईसी को देनी होगी और चुनाव आयोग इस जानकारी को साझा करेगा। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि दो अलग-अलग लेकिन सर्वसम्मत फैसले हैं।
चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनाम चुनावी बॉन्ड संविधान प्रदत्त सूचना के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार में राजनीतिक गोपनीयता, संबद्धता का अधिकार भी शामिल है।
पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बी.आर. गवई, जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने लगातार तीन दिनों तक दलीलें सुनने के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके अलावा सीजेआई ने टिप्पणी की थी कि यह योजना सत्ता केंद्रों और उस सत्ता के हितैषी लोगों के बीच रिश्वत और बदले की भावना का वैधीकरण नहीं बननी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस की नौ बड़ी बातें
- कांग्रेस ने शुरू से किया विरोध
- ‘काला धन सफेद करो’ योजना
- आरबीआई ने दी थी चेतावनी
- चुनाव आयोग को किया गुमराह
- मौका मिलते ही तोड़ दिए नियम
- क्या जांच ईडी को भेजेंगे?
- अध्यादेश न जारी कर दे भाजपा
- भ्रष्टाचार में पीएम सीधे शामिल
- मोदी की भ्रष्ट नीतियों का सबूत
क्या है इलेक्टोरल बांड?
यह एक वचन पत्र की तरह है जिसे भारत का कोई भी नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से खरीद सकता है और अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को गुमनाम तरीके से दान कर सकता है। आसान भाषा में इसे अगर हम समझें तो इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक वित्तीय जरिया है। आज कोर्ट ने इसे असंवैधानिक माना और चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया।
सुनवाई के दौरान पांच महत्वपूर्ण बिंदु
- चुनावी प्रक्रिया में नकदी तत्व को कम करने की जरूरत।
- अधिकृत बैंकिंग चैनलों के उपयोग को प्रोत्साहित करने की जरूरत।
- गोपनीयता द्वारा बैंकिंग चैनलों के उपयोग को प्रोत्साहित करना। 4. पारदर्शिता।
- रिश्वत का वैधीकरण।