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Home » Blog » पॉलिटिक्स » Lok Sabha Election 2024: बलिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र, विजयी हैट्रिक पर भाजपा की नजर

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Lok Sabha Election 2024: बलिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र, विजयी हैट्रिक पर भाजपा की नजर

Jagruk Times
Last updated: May 28, 2024 3:37 pm
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Lokshabha Elections 2024
Lokshabha Elections 2024
Lok Sabha Election 2024: बलिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र, विजयी हैट्रिक पर भाजपा की नजर 6

मुंबई। बलिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र देश के चुनिंदा सीटों में से एक है। यह वह संसदीय क्षेत्र है, जिसका प्रतिनिधित्व पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर ने आठ बार किया है। इस लोकसभा सीट पर आजादी मिलने के बाद यहां पहली बार 1952 में लोकसभा चुनाव हुआ था। कांग्रेस ने यहां से मदन मोहन मालवीय के बेटे गोविंद मालवीय को अपना उम्मीदवार बनाया। लेकिन बलिया के मतदाताओं ने देश में कांग्रेस की लहर होने के बाद भी सोशलिस्ट पार्टी के राम नगीना सिंह को चुनकर दिल्ली भेजा।

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1957 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राधामोहन सिंह को टिकट दिया और उन्हें जीत भी मिली। 1962 में मुरली बाबू कांग्रेस के टिकट पर लड़े और सांसद बने। इसके बाद 1967 और 1971 में चंद्रिका लाल यहां से सांसद रहे। इस तरह से बलिया 1971 तक कांग्रेस का गढ़ रहा। जयप्रकाश नारायण ने जब कांग्रेस के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन छेड़ा तभी बलिया की राजनीति में युवा तुर्क कहे जाने वाले चंद्रशेखर का उदय हुआ।

आठ बार सांसद रहे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर

चंद्रशेखर
Lok Sabha Election 2024: बलिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र, विजयी हैट्रिक पर भाजपा की नजर 7

बलिया के लोगों ने उन्हें अपना नेता चुना और विजयश्री दिलाकर संसद में भेजा। 1984 को छोड़ दें तो चंद्रशेखर बलिया से लगातार जीत हासिल करते रहे। 10 नवंबर 1990 को चंद्रशेखर देश के आठवें प्रधानमंत्री भी बने। 1977 के चुनाव में चंद्रशेखर पहली बार भारतीय लोकदल से सांसद बने और संसद पहुंचे, 1980 में चंद्रशेखर जेएनपी पार्टी से सांसद चुने गए।

1984 में चंद्रशेखर को कांग्रेस के जगन्नाथ के हाथों हार मिली, लेकिन 1989 के चुनाव में चंद्रशेखर जनता दल से सांसद बने। 1991 के चुनाव में चंद्रशेखर जनता पार्टी से सांसद बने। 1996 के चुनाव में चंद्रशेखर सैप पार्टी से चुनाव जीत कर सांसद बने। 1998 के चुनाव में चंद्रशेखर समाजवादी जनता पार्टी से जीत कर संसद पहुंचे। 1999 के चुनाव में चंद्रशेखर समाजवादी जनता पार्टी से जीत कर संसद पहुंचे।

2004 के चुनाव में भी चंद्रशेखर समाजवादी जनता पार्टी से सांसद चुने गए। लेकिन 8 जुलाई 2007 को चंद्रशेखर एक गंभीर बीमारी से परलोक सिधार गए। इसके बाद 2007 में हुए उपचुनाव में चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर यहां से उप चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 2009 के चुनाव में नीरज शेखर समाजवादी पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़े और संसद पहुंचे। 2014 के लोकसभा चुनाव में जब मोदी लहर थी तो बीजेपी के भरत सिंह ने यहां से पार्टी का खाता खोला और नीरज शेखर को हार का सामना करना पड़ा।

2019 में भी इस सीट पर बीजेपी का दबदबा कायम रहा और वीरेंद्र सिंह मस्त सांसद निर्वाचित हुए। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने सनातन पांडे को उम्मीदवार घोषित किया। चुनाव में सपा ने बीजेपी को कड़ी टक्कर तो दी लेकिन जीत नसीब नहीं हुई। चुनाव में बीजेपी के वीरेंद्र सिंह को 469,114 वोट मिले जबकि सनातन पांडे को 4,53,595 वोट मिले थे। 2019 में नीरज शेखर भाजपा में शामिल हो गए।

उनके कद और सम्मान को देखते हुए भाजपा ने भी उन्हें राज्यसभा भेज दिया। इस बार ‘अबकी बार 400 पार’ के नारे के साथ चुनावी रण में उतरी भाजपा ने सुरक्षित दांव खेलते हुए नीरज शेखर को टिकट दिया है। वहीं समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर से सनातन पांडेय पर विश्वास जताया है। बसपा से लल्लन सिंह यादव सहित यहां कुल 13 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। बलिया संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती है।

जिनमें बलिया जिले की फेफना, बलिया नगर, और बैरिया शामिल हैं। तो वहीं गाजीपुर जिले की जहूराबाद और मोहम्मदाबाद विधानसभा भी बलिया लोकसभा क्षेत्र के ही अंतर्गत आती है। अगर 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो यहां समाजवादी पार्टी ने फेफना, बैरिया और मोहम्मदाबाद की सीट पर अपना परचम लहराया था तो वहीं भाजपा और सुभासपा को बलिया नगर और जहूराबाद की सीट से क्रमश: जीत मिली थी।

इससे पहले हुए 2017 के विधानसभा चुनाव में बलिया की 4 विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा रहा था और जहूराबाद विधानसभा से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर जीते थे।

विरासत कायम रखेंगे नीरज शेखर

नीरज शेखर
Lok Sabha Election 2024: बलिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र, विजयी हैट्रिक पर भाजपा की नजर 8

भाजपा ने वर्तमान सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त की जगह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर को मैदान में उतारा है। पिछली बार भी भाजपा ने मौजूदा सांसद भरत सिंह का टिकट काटकर वीरेंद्र सिंह मस्त को उतारा था। इस साल मैदान में आने वाले नीरज शेखर फिलहाल भाजपा से ही राज्यसभा के सांसद है। नीरज शेखर को राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता चंद्रशेखर कांग्रेस के समर्थन से चार महीने के लिए प्रधानमंत्री बने थे।

बलिया लोकसभा सीट उनकी परंपरागत सीट रही है। 2007 में सांसद रहते उनके निधन होने के बाद हुए उपचुनाव में पहली बार उनके बेटे नीरज शेखर चुनाव मैदान में उतरे और करीब तीन लाख वोटों से जीते भी। उस समय उन्हें समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया था। साल 2009 के लोकसभा चुनावों में भी नीरज शेखर सपा के टिकट पर मैदान में उतरे और दोबारा जीते।

हालांकि साल 2014 में जब देश में प्रधानमंत्री मोदी की लहर थी, उसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजा था। हालांकि 2019 में उन्होंने समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए। इसके बाद बीजेपी ने भी उन्हें राज्यसभा भेजा। इस समय भी वह राज्यसभा के सदस्य हैं, लेकिन बीजेपी ने उन्हें उनके पिता की परंपरागत सीट से लोकसभा का टिकट दिया है।

मूल रूप से बलिया के इब्राहिम पट्टी के रहने वाले नीरज शेखर की इस चुनाव में मुख्य चुनौती अपने पिता की बनाई जमीन को हासिल करना है। इसके लिए वह काफी समय से प्रयासरत भी हैं। हालांकि अब तक वह चंद्रशेखर वाला आकर्षण हासिल नहीं कर सके। उनकी दूसरी चुनौती बलिया की जातिगत राजनीति से लड़ते हुए इस चुनाव को अपने पक्ष में करना है।

उनकी विजय का पूरा दारोमदार कैडर बेस्ट वोट बैंक पर है। भाजपा बलिया सीट को फिलहाल अपने पक्ष में मान कर चल रही है। वहीं नीरज शेखर भी तीसरी बार जीत दर्ज का पार्टी की हैट्रिक लगाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।

सनातन पांडेय के सामने दोहरी चुनौती

सनातन पांडेय
Lok Sabha Election 2024: बलिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र, विजयी हैट्रिक पर भाजपा की नजर 9

बलिया लोकसभा सीट से सपा ने सनातन पांडेय को इस बार फिर उम्मीदवार बनाया है। पांडेय पांच बार विधानसभा और एक बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके सनातन पांडेय एक बार विधायक भी रहे हैं। रसड़ा विधानसभा क्षेत्र के पांडेयपुर के रहने वाले सनातन पांडेय ने 1980 में आजमगढ़ से पॉलिटेक्निक की पढ़ाई की और इसके बाद गन्ना विकास परिषद में जेई बन गए।

1996 में नौकरी से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी से जुड़े। 1997 व 2002 में जिले की चिलकहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए सपा का टिकट मांगा। पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतरे और हारे। 2007 के चुनाव में सपा ने उन्हें चिलकहर विधानसभा सीट से टिकट दिया तो वह जीतकर विधायक बने। 2012 में नए परिसीमन में चिलकहर विधानसभा क्षेत्र का अस्तित्व ही समाप्त हो गया।

पार्टी से उन्हें रसड़ा सीट से चुनाव लड़ाया, लेकिन वह बसपा के उमाशंकर सिंह से हार गए। 2016 में पांडेय को उत्तर प्रदेश शासन के पर्यटन एवं संस्कृति विभाग का सलाहकार बनाया गया। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी वह रसड़ा विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर लड़े लेकिन एक बार फिर असफलता हाथ लगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही सपा एक बार फिर उन पर भरोसा जताया।

भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त के खिलाफ कांटे की लड़ाई रही और वह मात्र 15,519 वोटों से हारे। हालांकि पिछली बार की तुलना में इस बार उनके लिए परिस्थितियां थोड़ी प्रतिकूल हैं। क्योंकि भाजपा ने यहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और सांसद रहे नीरज शेखर को मैदान में उतारा है, जो कहीं न कहीं वर्तमान सांसद मस्त की तुलना में मजबूत प्रत्याशी हैं।

वहीं पिछली बार सपा की सहयोगी रही बसपा भी इस बार उनके खिलाफ चुनावी मैदान में है। उस पर मुश्किल यह कि बसपा ने पूर्व सैनिक लल्लन सिंह यादव को मैदान में उतारा है, जो कि सपा के कोर वोटर यादव जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं।

बलिया सीट का जातीय समीकरण, ब्राह्मण 15.5 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 15.3 प्रतिशत, राजपूत 13.8 प्रतिशत, यादव 12.3 प्रतिशत, भूमिहार 8.9 प्रतिशत, मुसलमान 6.59 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 3.4 प्रतिशत, कुर्मी 3.4 प्रतिशत, कुशवाहा 4.1 प्रतिशत, पाल व बघेल 2.4 प्रतिशत, निषाद 3.3 प्रतिशत, राजभर 4.90 प्रतिशत बलिया सीट पर मतदाता, कुल वोटर 19,12,864, पुरुष मतदाता 10,26,474, महिला मतदाता 8,86,316, थर्ड जेंडर मतदाता 74

रिपोर्ट: अजीत कुमार राय, मुंबई

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