
अमेरिका (America) से 487 भारतीय नागरिकों को प्रत्यर्पित किए जाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की है कि इन व्यक्तियों को अमेरिका में अवैध प्रवास के कारण वापस भेजा जा रहा है।
विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि भारत ने अमेरिका के साथ इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं को स्पष्ट रूप से रखा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ऐसे मामलों में मानवीय दृष्टिकोण अपनाने पर जोर देता रहेगा।
अवैध प्रवासियों के साथ दुर्व्यवहार पर भारत की आपत्ति
विक्रम मिश्री ने यह भी कहा कि 2012 में जिन भारतीय नागरिकों को अमेरिका से निर्वासित किया गया था, उनके साथ हुई दुर्व्यवहार की घटनाओं पर कोई आधिकारिक विरोध दर्ज नहीं किया गया था। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारत सरकार भविष्य में ऐसे मामलों को गंभीरता से लेगी और अगर किसी अवैध प्रवासी के साथ अनुचित व्यवहार होता है, तो इस पर तत्काल कदम उठाए जाएंगे।
अमेरिका में अवैध प्रवास के खिलाफ सख्ती
मिश्री ने बताया कि अमेरिका ने भारतीय विदेश मंत्रालय को यह जानकारी दी है कि अवैध प्रवासियों को प्रत्यर्पित करने की प्रक्रिया के दौरान कुछ मानक नियमों का पालन किया जाता है। उन्होंने कहा, “यह एक पुरानी प्रक्रिया है, जिसे अमेरिका की आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन एजेंसी (ICE) द्वारा लागू किया जाता है।”
अवैध मानव तस्करी पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत ने अमेरिका से अनुरोध किया है कि प्रत्यर्पित किए जा रहे भारतीय नागरिकों के साथ उचित व्यवहार किया जाए। विदेश सचिव ने कहा, “हमने अमेरिकी अधिकारियों को स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी अवैध प्रवासी के साथ अमानवीय व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसे मामलों को हम बार-बार उठाते रहेंगे।”
इसके अलावा, उन्होंने बताया कि हाल ही में सरकार को 198 और भारतीय नागरिकों के बारे में जानकारी मिली है, जिनका प्रत्यर्पण किया जा सकता है।
“असली समस्या अवैध प्रवास को बढ़ावा देने वाले गिरोह”
विदेश सचिव ने अवैध प्रवास को एक गंभीर समस्या बताते हुए कहा, “असली समस्या वे गिरोह हैं जो भोले-भाले लोगों को विदेश में बेहतर भविष्य का सपना दिखाकर उनसे मोटी रकम वसूलते हैं और अवैध तरीके से उन्हें अमेरिका भेजते हैं। इस नेटवर्क को खत्म करने के लिए ठोस कार्रवाई की जरूरत है।”
राजनीतिक विवाद में घिरा मुद्दा
अमेरिका से भारतीय नागरिकों के प्रत्यर्पण का यह मामला भारत में राजनीतिक बहस का विषय बन गया है। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि निर्वासित किए जा रहे भारतीय नागरिकों के साथ अमानवीय व्यवहार हो रहा है और सरकार इस पर उचित प्रतिक्रिया देने में विफल रही है।