पाली। जोधपुर सेंट्रल जेल (Jodhpur Central Jail) में बंद गुड़ा ऐंदला निवासी कैदी रूपाराम की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले ने शुक्रवार को फिर तूल पकड़ लिया, जब मृतक के परिजन और समाज के लोग बड़ी संख्या में गुड़ा ऐंदला थाना पहुंचे। उन्होंने जीरो नंबर एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए थाने का घेराव किया और करीब दो घंटे तक विरोध जताया।
थाने में दो घंटे तक डटे रहे परिजन और समाजजन
मृतक के परिजन और सीरवी समाज के लोगों का कहना था कि रूपाराम की मौत स्वाभाविक नहीं, बल्कि जेल में मारपीट के कारण हुई है, जिसके सिर पर चोट के स्पष्ट निशान हैं। ऐसे में मामले की निष्पक्ष जांच आवश्यक है और इसके लिए एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।
थाना प्रभारी कपूराराम ने उन्हें समझाया कि यह मामला जोधपुर क्षेत्राधिकार का है, जहां पहले से जांच चल रही है। थाना स्तर पर जीरो एफआईआर दर्ज कर आगे ट्रांसफर किया जा सकता है, लेकिन प्रक्रिया और अधिकार क्षेत्र के अनुसार कार्यवाही होगी। समझाइश के बाद समाजजन शांतिपूर्वक लौट गए।
क्या है पूरा मामला
पाली जिले के गुड़ा ऐंदला निवासी रूपाराम पुत्र भंवरलाल (32) को करीब सवा दो साल पहले दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार कर जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद किया गया था। बुधवार को जेल प्रशासन ने परिजनों को सूचित किया कि रूपाराम की साइलेंट अटैक से मौत हो गई है। परिजनों का आरोप है कि शव पर खासकर सिर पर गंभीर चोट के निशान थे, जिससे जेल में हत्या की आशंका जताई जा रही है।
गुरुवार को हुआ था विरोध प्रदर्शन
गुरुवार (3 जुलाई, 2025) को भी यह मामला सुर्खियों में रहा जब मृतक की पत्नी और परिजन गुंदोज स्थित सीरवी छात्रावास में शव लेकर एकत्र हुए और उन्होंने सीबीआई जांच तथा आर्थिक सहायता की मांग रखी। सीओ ग्रामीण रतनाराम देवासी सहित प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर उन्हें समझाइश दी, जिसके बाद वे शव का अंतिम संस्कार करने के लिए तैयार हुए।
शुक्रवार को फिर गरमाया मामला
शुक्रवार (4 जुलाई, 2025) को मृतक के परिजन और समाज के लोग फिर से सक्रिय हुए और गुड़ा ऐंदला थाने पहुंचकर एफआईआर की मांग करने लगे। परिजनों का कहना है कि यदि जोधपुर में निष्पक्ष जांच नहीं हो रही है, तो पाली जिले से ही कार्रवाई की शुरुआत की जाए। इस दौरान थाना परिसर में समाज के बुजुर्ग, महिलाएं और युवा बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
समाज के लोगों ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि मामले को दबाया जा रहा है। जेल प्रशासन द्वारा साइलेंट अटैक का हवाला देना संदेहास्पद है जबकि शव पर गहरे चोट के निशान स्पष्ट रूप से नजर आए। मृतक की पत्नी का कहना है कि बिना जांच के शव को जल्दबाज़ी में सौंपा गया जो प्रक्रिया पर भी प्रश्न खड़े करता है।
न्याय और मुआवजे की मांग जारी
परिजनों ने सरकार से न्याय की मांग करते हुए कहा कि मृतक के तीन छोटे बच्चे हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय है। ऐसे में सरकार उन्हें आर्थिक सहायता और नौकरी जैसी राहत दे, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके। समाज के वरिष्ठजन ने चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो आगे बड़ा आंदोलन किया जाएगा। फिलहाल थाना स्तर पर समझाइश के बाद मामला शांत हुआ है, लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा और पीड़ित परिवार का आक्रोश अभी भी बरकरार है।
रिपोर्ट – रविन्द्र सोनी