
राजसमंद (Rajsamand) जिले के ग्राम पंचायत पसुन्द के प्रशासक अयन जोशी की अध्यक्षता में शुक्रवार को विशेष ग्राम सभा का आयोजन किया गया। इसी के साथ ग्रामवासियों ने जिला प्रशासन द्वारा पसुन्द डंपिंग यार्ड को जिला उद्योग एवं वाणिज्यिक केन्द्र राजसमंद के नाम आवंटन का प्रस्ताव बनाकर क्षतिपूर्ति के नाम पर गाँव की 50 बीघा बिलानाम भूमि को अनावश्यक रूप से आवंटन करने का प्रस्ताव बनाया गया जिस हेतु ग्राम सभा में जिला प्रशासन द्वारा तैयार इस प्रस्ताव का ग्रामवासियों ने बढ़ चढ़कर विरोध करते हुए आपत्ति दर्ज करवाई।
ग्रामवासियों ने कहा की अगर आवंटन ही करना है तो पहले हमारी पंचायत में आबादी विस्तार हेतु प्रस्ताव बनाकर उस पर अमल किया जावें। जिला उद्योग केन्द्र को अगर हमारी पंचायत की कुल 52 बीघा में से 50 बीद्या आवंटन कर देंगे तो भविष्य में हम सरकारी प्रयोजनाओं का लाभ नहीं ले पायेंगे क्योंकि हमारे पास बिलानाम भूमि ही नहीं बचेगी।
साथ ही ग्रामवासियों ने ग्राम सभा में पक्ष रखते हुए कहा की डंपिंग यार्ड से ग्राम पंचायत को विगत 6 वर्षों में लगभग 65 लाख रूपये की निजी आय हुई जिससे ग्राम पंचायत में स्वच्छता हेतु नाली निर्माण, सफाई कार्मिकों का भत्ता, रोड लाइट, सी.सी सड़के, पर्यावरण संरक्षण, ग्राम पंचायत में होने वाली बैठकों का खर्च, सरपंच वार्ड पंच मानदेय, राजकीय आदेशों से होने वाले शिविरों का आयोजन करना, पेयजल टेंकर की सप्लाई करके लागों एवं पशुओं को पेयजल उपलब्ध करवाना, सामुदायिक सम्पत्तियों का रख रखाव व मरम्मत के कार्य इत्यादि सम्पादित करवाए जा रहे है।
यदि डंपिंग यार्ड की भूमि जो ग्राम पंचायत पसुन्द के क्षेत्राधिकार में है वो जिला प्रशासन द्वारा जिला उद्योग एवं वाणिज्यिक केन्द्र राजसमन्द को आवंटित की जाती है, तो ग्राम पंचायत पसुन्द को राजस्व हानि के साथ साथ समस्त लोकहित व जनहित के कार्य प्रभावित होंगे एवं ग्राम के संसाधन विचलित होंगे। जिससे ग्राम पंचायत का विकास प्रभावित होगा, जिसकी क्षतिपूर्ति होना संभव नहीं है।
ग्राम सभा मे उक्त प्रस्ताव लेकर समस्त ग्रामवासियों ने इस आवंटन हेतु एनओसी नही देने के लिए एक स्वर में विरोध दर्ज करवाया। साथ ही जिला प्रशासन को उक्त आवंटन प्रस्ताव निरस्त करने के लिए पत्र लिखने को कहा। प्रस्ताव निरस्त नही करने पर कलेक्टरी परिसर में उग्र आंदोलन की चेतावनी दी गई। इस दौरान भारी संख्या में बड़े भुजुर्ग, महिलाएं व युवा उपस्थित थे।
रिपोर्ट – नरेंद्र सिंह खंगारोत