मुंबई। बॉलीवुड में अपनी करिश्माई आवाज़ के ज़रिये बरसों तक राज करने वाले सुरों के बेताज बादशाह मोहम्मद रफी ( Mohammed Rafi ) की 44वीं पुण्यतिथि पर आयोजित संगीत संध्या उनके मशहूर गीतों के जरिये दी गई सुरीली श्रद्धांजलि की बदौलत सभी संगीत प्रेमियों के लिए यादगार बन गई। इस शानदार सुरीली महफ़िल का आयोजन मोहम्मद रफी फैन क्लब द्वारा उल्हासनगर के टाउन हॉल में किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी और रफी साहब के प्रशंसक मौजूद रहे।
इस रफी फैन क्लब की स्थापना 25 साल पहले उनके प्रमुख प्रशंसक डॉ. प्रभु आहूजा, उनकी पत्नी डॉ. आशा आहूजा, भाई महेश आहूजा के साथ उनके कुछ घनिष्ठ मित्रों स्व. अनूप मदनानी, स्व. दीपक गजरिया, स्व. लालचंद, स्व. श्री वासवानी, प्रीतम मेघानी और प्रोफेसर अजातशत्रु यादव द्वारा की गई थी। तब से प्रति वर्ष यहाँ पर मोहम्मद रफी की जन्मतिथि और पुण्यतिथि पर स्थानीय और आस-पास के क्षेत्रों के कलाकार उन्हें संगीतमय श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
इस अवसर पर प्रसिद्ध चिकित्सक, शिवनेरी अस्पताल उल्हासनगर के निदेशक और रफ़ी फैंस क्लब के संस्थापक डॉ. प्रभु आहूजा ने बताया कि सभी गायक और वादक श्रद्धांजलि कार्यक्रम से पहले क्लब के छोटे हॉल में अभ्यास करते हैं। गानों में उर्दू लफ़्ज़ों का उच्चारण सही करने के बाद ही कोई भी मंच पर गा सकता है और इसे सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी वे स्वयं लेते हैं, क्योंकि वे स्वयं भी सिंधी माध्यम से शिक्षित हैं, जो उर्दू से मिलती- जुलती भाषा है। इस क्लब का उद्देश्य अमर गायक मोहम्मद रफी की विरासत को नई पीढ़ी को पहुॅंचाना है।
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम की खासियत यह है कि इसमें हम न सिर्फ रफी साहब के लोकप्रिय गीतों को, बल्कि उनके कई दुर्लभ और भूले बिसरे फिल्मी और गैर फिल्मी गीतों को भी प्रस्तुत करते हैं। साथ ही हमारे कार्यक्रम का कोई टिकट नहीं रखा जाता है, जिससे समाज के हर वर्ग के संगीतप्रेमी इसका आनंद उठा सकते हैं। इसीलिए पूरे शहर से बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी इस कार्यक्रम में एकत्र होते हैं। उन्होंने बताया कि इस साल रफी फैन क्लब का रजत जयंती वर्ष है और यह इनका 54वाॅं कार्यक्रम था।
बता दे कि कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुआ, जिसमें उल्हासनगर म्युनिसिपल काॅर्पोरेशन के पार्षद भरत गंगात्रे भी मौजूद थे। इसके पश्चात स्थानीय गायकों ने रफी साहब के सुपरहिट सदाबहार गानों को बड़ी खूबसूरती से पेश करके समां बांध दिया। इस कार्यक्रम का बेहतरीन सूत्र संचालन प्रसिद्ध मंच संचालिका डॉ. सरस्वती अय्यर द्वारा किया गया, जिन्होंने हिंदी सिनेमा के सुनहरे दौर के गायकों, संगीत निर्देशकों, गीतकारों, कलाकारों के कई रोचक किस्से सुनाये और सिने संगीत में उनके योगदान की चर्चा भी की।
संयोगवश 4 अगस्त को महान गायक किशोर कुमार की जयंती भी रहती है, इसलिए विभिन्न कलाकारों ने रफी साहब के साथ-साथ किशोर कुमार की विरासत और संगीत को भी याद करते हुए उनके गाये मशहूर गीतों को प्रस्तुत किया। उपस्थित दर्शकों ने पूरे कार्यक्रम को बेहद सराहा और सुमधुर गीतों का भरपूर आनंद लिया।