ज्ञानवापी मामले को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (1 अप्रैल, 2024) को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जिसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के व्यास तहखाने पूजा-पाठ जारी रहेगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की।
बता दे कि वाराणसी की जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर मौजूद व्यास तहखाने में पूजा अर्चना करने की अनुमति दी थी। इसके खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने वाराणसी कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार का दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले पर रोक से इनकार कर दिया है।
मिली जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 17 जनवरी और 31 जनवरी (तहखाना के अंदर पूजा की अनुमति) के आदेशों के बाद मुस्लिम समुदाय द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद में बिना किसी बाधा के ‘नमाज’ पढ़ी जा रही है और हिंदू पुजारी द्वारा ‘पूजा’ ‘तहखाना’ क्षेत्र तक ही सीमित है, ऐसे में यथास्थिति बनाए रखना उचित है ताकि दोनों समुदाय उपरोक्त शर्तों के साथ पूजा-पाठ कर सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू दक्षिण से प्रवेश करेंगे और तहखाने में पूजा करेंगे। वहीं मुस्लिम उत्तर से आंगे और नमाज अदा करेंगे। कोर्ट ने मुस्लिम पक्षों द्वारा दायर अपील पर हिंदू पक्षों को भी नोटिस जारी किया और मामले को जुलाई में विचार के लिए सूचीबद्ध किया।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह भी आदेश दिया कि हिंदू पक्ष को सिविल कोर्ट के 31 जनवरी के आदेश के अनुसार पूजा करना जारी रखेंगे। वहीं तहखाने में पूजा पर रोक लगाने से इनकार करते हुए, कोर्ट ने तर्क दिया कि हिंदू पक्ष जहां पूजा करते हैं और मुस्लिम पक्ष जहां नमाज पढ़ते हैं, दोनों अलग-अलग हैं। बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद समिति की याचिका पर काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को नोटिस जारी करके 30 अप्रैल तक जवाब मांगा है।
हिंदू पक्ष के वकील ने क्या कहा ?
खबर एजेंसी ANI के मुताबिक, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, ”आज सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले पर सुनवाई हुई। व्यास परिवार की ओर से वाराणसी जिला न्यायालय में जो आवेदन दिया गया था, जिसमें 31 जनवरी 2024 से ‘व्यास का तहखाना’ में पूजा करने की अनुमति दी गई थी। उसके खिलाफ मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष के पक्ष में फैसला सुनाया।”
उन्होंने आगे कहा, ”आज अंजुमन इंतजामिया इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट आया था। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद इस केस में नोटिस जारी किया है और हमें 30 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करना है। पूजा पर कोई रोक नहीं लगाई गई है।”
#WATCH दिल्ली: हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, "आज सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले पर सुनवाई हुई…व्यास परिवार की ओर से वाराणसी जिला न्यायालय में जो आवेदन दिया गया था, जिसमें 31 जनवरी 2024 से 'व्यास का तहखाना' में पूजा करने की अनुमति दी गई थी…उसके खिलाफ मामला… pic.twitter.com/3VMvHBVAuu
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 1, 2024
1993 तक तहखाने में होती थी पूजा
जानकारी के मुताबिक, वाराणसी जिला कोर्ट ने अपने आदेश में था कि काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा नामित एक पुजारी द्वारा व्यास जी के तहखाने में पूजा अर्चना की जाएगी। जिला कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले पुजारी ने बताया कि उनके दादा व्यास जी दिसंबर 1993 तक तहखाने में पूजा करते थे। हालांकि बाद में इस पर रोक लगा दी गई।
हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट का किया था रुख
वाराणसी जिला कोर्ट के आदेश के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को पहले हाईकोर्ट जाने के लिए कहा। अब मस्जिद कमेटी को जिला कोर्ट, हाईकोर्ट से निराशा मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है।
सीएम योगी ने की थी पूजा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में व्यासजी के तहखाने में पूजा अर्चना के आदेश के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने 13 फरवरी को दौरा किया था और व्यास जी के तहखाने में पूजा की थी।