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जैसलमेर। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में नगर परिषद द्वारा दायर याचिका को निरस्त करते हुए भू आवंटी को दो सप्ताह में कब्जा सुपुर्द करने के निर्देश दिए है। एडवोकेट सूर्यप्रकाश बिस्सा ने बताया किश्रीवल्लभ गोयदानी को वर्ष 1950-51 में हनुमान चौराहे के पास भूमि का आवंटन किया गया था और उसके द्वारा वर्ष 1962से 1970 तक ईडब्ल्यूएस कंपनी के पेट्रोल पंप का संचालन किया गया।
वर्ष 1984-85 में उसके द्वारा पेट्रोल पंप के कार्य को बंद कर होटल निर्माण के लिए जिला कलेक्टर के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया था। जिला कलेक्टर द्वारा स्वीकार करते हुए नगरपरिषद को होटल व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए आवश्यक अनुमति पर विचार करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन नगरपरिषद द्वारा प्रार्थना पत्र पर विचार किए बिना ही कब्जा हटाने की कार्रवाई प्रारंभ की गई। जिसे मूल आवंटी द्वारा सिविल न्यायालय में चुनौती दी गई।
इस वाद में स्थाई निषेधाज्ञा का आदेश पारित होने के बावजूद भी तत्कालीन जिला कलेक्टर अमरीशकुमार के निर्देशनुसार नगरपरिषद द्वारा 24 घंटे का नोटिस देकर भूमि का कब्जा ले लिया गया और रातों रात सड़क का निर्माण कर दिया गया। जिसे चुनौती देते हुए सिविल न्यायालय में पुनः प्रकरण दर्ज करवाया गया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 में ही सिविल न्यायालय द्वारा प्रार्थी श्रीवल्लभ गोयदानी के वारिसों को दो सप्ताह में कब्जा सुपुर्द करनेके निर्देश दिए गए थे।
आदेश को चुनौती देते हुए
नगरपरिषद द्वारा दायर रिट याचिका को उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर सिविल कोर्ट के आदेश की पुष्टि करते हुए दो सप्ताह में प्रार्थी श्रीवल्लभ गोयदानी के वारिसों को कब्जा सुपुर्द करने के निर्देश दिए है। भू स्वामी की ओर से एडवोकेट सूर्यप्रकाश बिस्सा द्वारा उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ पैरवी की गई।
रिपोर्ट – कपिल डांगरा