कृषि विज्ञानं केंद्र जैसलमेर (Jaisalmer) में सात दिवसीय व्यवसायिक भेड़ एवं बकरी पालन प्रशिक्षण आयोजित किया गया था, जिसमे 20 गांवों से पशुपालकों ने भाग लिया इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अध्यक्ष काजरी जैसलमेर डॉ. आर .एस. मेहता द्वारा प्रशिक्षणार्थीयों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरान्त प्रमाण पत्र वितरित किये गए। काजरी के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. मेहता ने पशुपालकों को चारा प्रबंधन विषय पर बताया की हरा चारा जैसे रिन्ज्का , बरसीम , नापिएर घास , अंजन घास ,सेवण घास ,धामन घास आदि चारायुक्त फसल को वैज्ञानिक विधि से उगाने एवं उनमे उपलब्ध पोषक तत्वों की जानकारी साझा की। साथ ही उन्होंने साइलेज एवं है के रूप में पशु का चारा को लम्बे समय तक संरक्षित करने की जानकारी भी प्रदान की। इस दौरान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ दीपक चतुर्वेदी ने पशुपालकों को एन. एल एम योजना की जानकारी देते हुए बकरी पालन की लाभ व हानि की गणित के बारे में समझाया , योजना के लिए जरूरी मापदंडो की जानकारी साझा करी ताकि पशुपालकों को बैंक से ऋण आसानी से मिल सके। इस मौके पर वैज्ञानिक डॉ चारू शर्मा ने पशुपालकों को एफ .आई .जी समूह के बारे में जानकारी देते हुए बताया की केसे भेड़ एवं बकरी पालन व्यवसाय को इस समूह से जुड़कर आर्थिक लाभ मिल सकता है ताकि पशुपालक एक जुट होकर आत्मनिर्भर बन सके। इस अवसर पर एस .आर .एफ गौरव सिंह ने अन्त्पर्जिवी व बह्यापर्जिवी बीमारियों के रोकथाम के लिए कृमिनाशक का उपयोग एवं बकरियों में मुख्य बीमारिया जैसे फिडकिया, पी .पी .आर , नमुनिया , बकरी चेचक ,खुर पक्का मुह पक्का आदि रोगों की रोकथाम की जानकारी दी। नस्ल सुधार के लिए कृर्त्म गर्भधारण विधि ,सेक्स सॉर्टेड सीमेन जैसे आधुनिक विधियों पर चर्चा करी द्य अच्छी नस्ल की बकरी जैसे सिरोही , सोजत ,बरबरी जिनकी बधवार कम समय में स्थानीय नस्लों के मुकाबले ज्यादा एवं अच्छी प्रजनन क्षमता रखने वाली नस्लों पर विस्तृत चर्चा की।
रिपोर्ट- कपिल डांगरा
