राजसमंद (Rajsamand)सांसद महिमा कुमारी मेवाड़ ने संसद में नियम 377 के तहत अस्पतालों और बीमा कंपनियों के बीच बढ़ते विवाद पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि इस खींचतान का सबसे बड़ा खामियाज़ा देश के आम मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कैशलेस इलाज, टैरिफ निर्धारण, बिलिंग और भुगतान में देरी जैसी स्थितियों के कारण बीमाधारक मरीज इलाज के दौरान अत्यधिक परेशानी झेल रहे हैं।मेवाड़ ने बताया कि बीमा कवरेज उपलब्ध होने के बावजूद मरीजों को स्वयं भुगतान करना पड़ रहा है, जिससे बीमारी की स्थिति में उपचार और बीमा प्रीमियम दोनों का भार उन पर आ जाता है। एक ओर अस्पताल अधिक दरों के भुगतान पर अड़े रहते हैं, वहीं दूसरी ओर बीमा कंपनियां अधिक बिलिंग राशि का भुगतान करने में सावधानी बरतती हैं, जिसके कारण भुगतान में देरी और विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है। साथ ही कई मामलों में दावा अस्वीकृत होने से मरीज और उनके परिजन मानसिक एवं वित्तीय संकट में घिर जाते हैं।सांसद ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि बीमाधारकों के हितों की सुरक्षा, सुगम और समयबद्ध इलाज की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु अस्पताल और बीमा कंपनियों के बीच विवादों के त्वरित और प्रभावी निपटान के लिए नीतिगत कदम शीघ्र उठाए जाएं।
रिपोर्ट – नरेंद्र सिंह खंगारोत
