राजसमंद (Rajsamand) ग्राम पंचायत बामनटुकड़ा के निवासी 70 वर्षीय किसान शंकर लाल बागोरा का जीवन वर्षों तक अभावों और असुरक्षा में बीता। पिछले करीब 18 वर्षों से वे अपने परिवार के साथ एक कच्चे, जर्जर और असुरक्षित मकान में रहने को मजबूर थे। बरसात में टपकती छत, सर्दियों में ठिठुरन और हर समय गिरने का डर—यह सब उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका था। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वे न तो पक्का मकान बनवा पाने की स्थिति में थे और न ही उनके पास अपनी आवासीय भूमि से संबंधित कोई वैध दस्तावेज था।– प्रशासन गांवों की ओर के तहत ग्राम स्तर पर शिविर आयोजित हुआ, तो शंकर लाल उम्मीद की आखिरी किरण लेकर शिविर स्थल पर पहुँचे। कांपते हाथों और भरी आंखों से उन्होंने अपनी पीड़ा अधिकारियों के सामने रखी। अधिकारियों ने न केवल उनकी बात को संवेदनशीलता से सुना, बल्कि तत्काल समाधान की दिशा में कदम भी उठाए। इस दौरान मौजूद थे विकास अधिकारी भवानी शंकर रेगर ,प्रशासक लहरी लाल दवे ,ग्राम विकास अधिकारी प्रहलाद सिंह राठौड़ ,आदि लोग मौजूद थेशिविर में ही राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 के अंतर्गत शंकर लाल को उनकी आवासीय भूमि का वैध पट्टा प्रदान किया गया। यह उनके जीवन का एक ऐसा क्षण था, जिसने वर्षों की असुरक्षा को भरोसे में बदल दिया। इसके साथ ही उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण से जोड़ा गया, जिसके अंतर्गत पक्का घर निर्माण हेतु सरकारी अनुदान स्वीकृत किया गया।आज शंकर लाल का सपना साकार हो चुका है। उनका स्वयं का पक्का मकान बनकर तैयार है, जिसमें सुरक्षित छत, मजबूत दीवारें और स्वच्छ शौचालय की सुविधा उपलब्ध है। जिस घर में कभी डर और असहायता का साया था, आज वहीं सम्मान, सुरक्षा और आत्मविश्वास ने जगह ले ली है।शंकर लाल के चेहरे पर आज जो मुस्कान है, वह सिर्फ एक मकान बनने की नहीं, बल्कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं और प्रशासन गांवों की ओर अभियान की संवेदनशीलता और सफलता की जीवंत मिसाल है। यह कहानी बताती है कि जब शासन और प्रशासन सीधे गांवों तक पहुंचता है, तो सिर्फ समस्याओं का समाधान नहीं होता, बल्कि जिंदगियां बदलती हैं।
रिपोर्ट – नरेंद्र सिंह खंगारोत
