आज यानी 2 अगस्त, 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (Droupadi Murmu) ने नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। राज्यपालों का सम्मेलन 2 और 3 अगस्त, 2024 को आयोजित किया जाएगा। प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) द्वारा जारी एक प्रेस रिलीज के अनुसार, इस सम्मेलन में ऐसे कई विषयों पर चर्चा की जाएगी, जो न केवल केंद्र-राज्य संबंधों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि जन-साधारण के लिए कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। बता दे कि सम्मेलन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मौजूद रहे। उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने भी उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
President Droupadi Murmu met the Governors and their spouses in Rashtrapati Bhavan. The Conference of Governors will be held on August 2 and 3, 2024. pic.twitter.com/vOfMLPfe5v
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 1, 2024
सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि इस सम्मेलन के एजेंडे में सावधानीपूर्वक चुने गए विषय शामिल हैं, जो हमारे राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में होने वाले विचार-विमर्श सभी प्रतिभागियों के लिए एक समृद्ध अनुभव होगा और उन्हें उनके कामकाज में मदद करेगा।
राष्ट्रपति ने मुर्मु ने कहा कि आपराधिक न्याय से संबंधित तीन नए कानूनों के लागू होने से देश में न्याय व्यवस्था का एक नया युग शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारी सोच में बदलाव इन कानूनों के नामों से स्पष्ट है: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार गरीबों, सीमावर्ती क्षेत्रों, वंचित वर्गों और क्षेत्रों तथा विकास यात्रा में पीछे छूट गए लोगों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने बताया कि आदिवासी आबादी का एक बड़ा हिस्सा अनुसूचित और आदिवासी क्षेत्रों में रहता है और राज्यपालों से इन क्षेत्रों के लोगों के समावेशी विकास को प्राप्त करने के तरीके सुझाने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि यदि युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों में लगाया जाए तो ‘युवा विकास’ और ‘युवा-नेतृत्व विकास’ को और गति मिलेगी। ‘मेरा भारत’ अभियान इस उद्देश्य के लिए एक सुविचारित प्रणाली प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि राज्यपालों को इस अभियान से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक युवा लाभान्वित हो सकें। राष्ट्रपति ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि इससे विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लोगों को एक-दूसरे को समझने और एक-दूसरे से जुड़ने का मौका मिला है। उन्होंने राज्यपालों से एकता की भावना को और मजबूत करने में योगदान देने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर हम मिट्टी की उर्वरता और किसानों की आय बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राजभवन मिसाल कायम कर सकते हैं। साथ ही राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। राज्यपाल ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को बड़े पैमाने पर जन आंदोलन बनाकर इसमें योगदान दे सकते हैं।
राज्यपालों की शपथ का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उनसे पिछले दशक के दौरान हुए सामाजिक कल्याण योजनाओं और विकास के बारें में लोगों को जागरूक करने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने का आग्रह किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने राज्यपालों से आग्रह किया कि वे केंद्र और राज्य के बीच एक प्रभावी सेतु की भूमिका निभाएं और लोगों और सामाजिक संगठनों के साथ इस तरह से संवाद करें कि वंचित लोगों को शामिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का पद एक महत्वपूर्ण संस्था है, जो संविधान के ढांचे के भीतर राज्य के लोगों के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, खासकर आदिवासी क्षेत्रों के संदर्भ में। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दो दिवसीय सम्मेलन में होने वाली चर्चाओं की रूपरेखा बताई तथा राज्यपालों से लोगों में विश्वास पैदा करने और विकास कार्यों को गति देने के लिए जीवंत गांवों और आकांक्षी जिलों का दौरा करने का आग्रह किया।