दिल्ली के शाहदरा इलाके में नकली भारतीय सिक्के बनाए जा रहे थे। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने नकली सिक्के बनाने वाली फैक्टरी का पर्दाफाश कर पूरे गिरोह का पर्दाफाश कर दो आरोपियों आकाश पुत्र रवि कुमार (27) व सर्वेश यादव पुत्र शिव (24) को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से 1.70 लाख रुपए के मूल्य के नकली सिक्के बरामद किए गए हैं। आरोपी 20 लाख रुपए के नकली सिक्के बाजार में सप्लाई कर चुके हैं।
अयोध्या राम मंदिर के नकली सिक्के बनाने के लिए दो रंगों का इस्तेमाल किया जाता था। स्पेशल सेल पुलिस उपायुक्त मनोज सी के अनुसार इंस्पेक्टर चंद्रिका प्रसाद को पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर में नकली भारतीय मुद्रा सिक्कों के प्रचलन में लिप्त अंतरराज्यीय गिरोह के बारे में जानकारी मिल रही थी। इंस्पेक्टर चंद्रिका प्रसाद को 23 मार्च एक मुखबिर से नकली भारतीय मुद्रा सिक्कों की ढलाई और आपूर्ति में लिप्त संदिग्ध व्यक्तियों के बारे में जानकारी मिली।
एसीपी संजय दत्त की देखरेख में इंस्पेक्टर चंद्रिका प्रसाद व सतवीर सिंह की टीम ने उत्तराखंड एन्क्लेव, बुराड़ी से दोनों आरोपी पुष्प नगर, बाणगंगा, इंदौर, एमपी निवासी सर्वेश यादव पुत्र शिव यादव और शाहदरा, दिल्ली निवासी आकाश पुत्र रवि कुमार को गिरफ्तार कर लिया। नकली सिक्के प्रथम दृष्टया देखने पर असली जैसे लग रहे थे, लेकिन ध्यान से जांच करने पर बरामद सिक्कों का नकली होने का पता लग रहा था। नकली सिक्के मूल सिक्कों की तुलना में हल्का वजन और चमकदार थे।
नकली सिक्कों के लिए फैक्ट्री लगा रखी थी
आकाश ने पूछताछ में खुलासा किया कि वह अपने सहयोगियों के साथ नकली भारतीय मुद्रा सिक्कों की ढलाई और आपूर्ति में शामिल था और अब तक अपने संपर्कों/लोगों को दिल्ली/एनसीआर और अन्य राज्यों के कुछ हिस्से में लगभग 20 लाख रुपये के नकली भारतीय सिक्कों की आपूर्ति कर चुका है। जांच के दौरान आरोपी आकाश द्वारा रुपये मूल्य के नकली भारतीय मुद्रा सिक्कों की ढलाई के लिए स्थापित फैक्टरी का पता चला। ये फैक्टरी 20, डी-23 गली नं. 01 मिलन गार्डन, मंडोली, शाहदरा में चल रही थी। नकली भारतीय मुद्रा सिक्के बनाने के लिए तीन रंगों का इस्तेमाल किया जाता था।
यू-ट्यूब पर सिक्का बनाना सिखा था
आकाश राठौर आसानी से पैसा कमाना चाहता था, इसलिए उसने नकली सिक्के बनाना शुरू कर दिया, जिसे उसने यूट्यूब पर सिक्के बनाने की प्रक्रिया देखकर सीखा था। इसके लिए उसने दिसंबर 2022 में, मंडोली, शाहदरा में सिक्का ढालने की फैक्टरी स्थापित की। उसने एक हाइड्रोलिक, कटिंग मशीन, एक हाइड्रोलिक प्रिंटिंग मशीन, एक फाइबर लेजर मशीन (डाई) खरीदी। फिर उसने क्षेत्र के स्क्रैप डीलर से लगभग 500 किलोग्राम की एमएस (आयरन) शीट भी खरीदी। और नकली भारतीय मुद्रा सिक्के बनाना शुरू कर दिया।