
आदित्य धर द्वारा निर्देशित Dhurandhar इस हफ्ते सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है और दर्शक इसे लेकर काफ़ी उत्साहित नजर आ रहे हैं। लगभग 3 घंटे 30 मिनट लंबी यह फिल्म देशभक्ति, बदले और आतंकवाद पर आधारित एक रोमांचक थ्रिलर है, जो दर्शकों को शुरुआत से अंत तक सीट से बांधे रखने में सफल रहती है। फिल्म को 3.5 स्टार की रेटिंग मिली है।
कहानी
फिल्म की कहानी साल 1999 से शुरू होती है, जब कंधार हाईजैक और फिर संसद पर हमलों ने देश को हिलाकर रख दिया था। कहानी अध्यायों में आगे बढ़ती है, और जैसे-जैसे फिल्म क्लाइमेक्स की ओर पहुंचती है, यह एक तेज़ और भावनात्मक बदले की कहानी बन जाती है। दूसरा हाफ थोड़ा धीमा महसूस होता है, लेकिन अंतिम भाग फिल्म को सही दिशा में मजबूत तरीके से समेटता है।
स्टारकास्ट का जलवा
इस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी शानदार मल्टी-स्टारकास्ट है।Dhurandhar की सबसे बड़ी ताकत इसकी विशाल और प्रभावशाली स्टारकास्ट है, जो कहानी को भार देती है और दर्शकों को बांधे रखती है। रणवीर सिंह फिल्म के केंद्र में हैं, और उनका अभिनय इस बार बेहद नियंत्रित, संतुलित और परिपक्व दिखाई देता है। अक्सर ऊर्जा और नाटकीयता से भरे किरदारों में नजर आने वाले रणवीर यहां पूरी तरह संयमित अंदाज़ में दिखाई देते हैं। उनके किरदार की प्रगति धीरे-धीरे खुलती है, और भावनात्मक दृश्यों में उनका प्रदर्शन गहराई लाता है, जबकि क्लाइमेक्स में उनका गुस्सा और दर्द दर्शकों को भीतर तक झकझोर देता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि यह उनके करियर का सबसे सशक्त और परिभाषित करने वाला काम है।अक्षय खन्ना फिल्म का सबसे दिलचस्प चेहरा बनकर उभरते हैं। वह स्क्रीन पर आते ही वातावरण बदल सा जाता है। उनकी आंखों की अभिव्यक्ति और संवाद बोलने की बेमिसाल शैली किरदार में खतरनाक तीव्रता भर देती है। दर्शक उनसे नफरत भी करते हैं, लेकिन कैमरे के सामने उनकी पकड़ ऐसी है कि नज़रें हटाना मुश्किल हो जाता है। यह किरदार साबित करता है कि अक्षय खन्ना जितनी गहराई और रहस्य लेकर आते हैं, वह शायद ही कोई और अभिनेता ला सके।संजय दत्त और अर्जुन रामपाल का रोल अपेक्षाकृत छोटा है, लेकिन दोनों की उपस्थिति भारी और प्रभावशाली है। चाहे कुछ दृश्यों में ही रहें, स्क्रीन पर आते ही उनकी गंभीरता और अनुभव कहानी में ठहराव और वजन लाते हैं। कम संवाद और सीमित समय के बावजूद वे अपने किरदारों को ईमानदारी और मजबूती के साथ निभाते हैं। यदि इन्हें थोड़ी और जगह मिलती, तो परिणाम और भी चमकीला होता।आर. माधवन अपनी शांत लेकिन प्रभावशाली स्क्रीन उपस्थिति से ध्यान आकर्षित करते हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो प्रमुख के रूप में उनका व्यक्तित्व गहराई लाता है, लेकिन इतने लंबे रनटाइम के बावजूद उनके भाग को सीमित रखना थोड़ा निराश करता है। फिर भी, जहां भी वह दिखते हैं, वह दर्शक पर स्थायी असर छोड़ते हैं।सारा अर्जुन फिल्म की कमजोर कड़ी साबित होती हैं। रणवीर सिंह के साथ उनकी केमिस्ट्री विश्वास दिलाने में असफल रहती है और कई दृश्य भावनात्मक जुड़ाव की कमी महसूस कराते हैं। वहीं राकेश बेदी और गौरव गेरा सुखद आश्चर्य की तरह आते हैं। दोनों सपोर्टिंग कलाकार अपने किरदारों को इतनी सहजता और गहराई से निभाते हैं कि कई जगह वे मुख्य किरदारों से ज्यादा याद रह जाते हैं। खास तौर पर गौरव गेरा का ट्रांसफॉर्मेशन दर्शकों को चौंका देता है।कुल मिलाकर, Dhurandhar की स्टार कास्ट कहानी की असली रीढ़ है, जहां हर अभिनेता अपने हिस्से का प्रभाव छोड़ता है और कोई भी दूसरे को दबाने की कोशिश नहीं करता। यह वह दुर्लभ संतुलन है जो मल्टी-स्टारर फिल्मों में अक्सर बिगड़ जाता है, लेकिन यहां यही फिल्म की असली जीत है।
स्क्रीनप्ले, एक्शन और इमोशन
फिल्म का Pacing कभी तेज़, कभी धीमा लेकिन हमेशा आकर्षक है। एक्शन सीन्स बेहद बारीक और तीव्र हैं कमज़ोर दिल वालों के लिए नहीं।26/11 के दृश्यों और असली ऑडियो रिकॉर्डिंग्स का इस्तेमाल दर्शकों को भीतर तक झकझोर देता है।Dialogues में वह ताकत है जो रोंगटे खड़े कर देती है—“घायल हो… इसलिए घातक हो।”कहां कमी रह गईकुछ किरदारों का इस्तेमाल पूरा नहीं हो पाया लंबी रनटाइम हर किसी को पसंद नहीं आएगी।
फाइनल वर्डिक्ट
Dhurandhar एक तेजतर्रार, पावर-पैक और भावनात्मक फिल्म है, जो बड़े पर्दे पर देखने का ही मज़ा देती है। देशभक्ति और सच्ची घटनाओं से प्रेरित कहानियों के प्रेमियों के लिए यह मस्ट वॉच है।
