राजस्थान में भीलवाड़ा के 14 साल पुराने गौ – तस्करी के मामले में भीलवाड़ा की ए डी जे 2 कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। ए डी जे 2 कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 8 आरोपितों को 3-3 साल की कठोर कैद और 8-8 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया गया हैं। आरोपियों के खिलाफ आरोप सिद्ध करने के लिए अपर लोक अभियोजक गिरीश कौशिक द्वारा 16 गवाहों और 25 दस्तावेज पेश किए हैं तब कोर्ट यह अहम फैसला सुनाया हैं।
अपर लोक अभियोजक गिरीश कौशिक ने कहा की हरिसेवा धाम भीलवाड़ा के हनुमान उदासी ने 2 अक्टूबर 2010 को सदर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। 1 – 2 अक्टूबर 2010 की मध्य रात्रि को मांडल की ओर से 15-20 गाडियों में गौवंश को ठूंस-ठूंस कर ले जा रहे हैं। भीलवाड़ा बाइपास पर काणोली चौराहे पर ग्रामीणों की सूचना पर हरिसेवा धाम से कुछ संत और भक्त आये। इन गाडियों के तिरपाल हटाकर देखा तो प्रत्येक गाड़ी में 20 से 30 गौवंश कूररता पूर्वक भरे हुये थे। 10 ट्रकों में कुल 163 बैल और बछड़े ठूंस ठूंस कर भरे मिले थे।
पुलिस ने ट्रकों को जब्त कर 163 गौवंश को मुक्त करवाते हुये गौशाला भिजवा दिया। 10 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार कर तफ्तीश के बाद कोर्ट में चालान पेश किया था। इन दस में से 2 आरोपी बद्रीलाल बंजारा व धूलीचंद उर्फ धूलचंद डांगी की मौत हो चुकी है जबकि कोर्ट में सुनवाई के दौरान शेष 8 आरोपियों के खिलाफ आरोप सिद्ध करने के लिए अभियोजन पक्ष द्वारा 16 गवाह और 25 दस्तावेज पेश किए गए। इसके बाद कोर्ट ने परसाराम बांजारा, किशन बंजारा, छुट्टन खां, रमेश उर्फ नवलराम मीणा, लक्ष्मण बंजारा, राजेश ओड को इस मामले में कोर्ट ने 3-3 साल की कठोर कैद और 8-8 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया हैं।