
केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत महाराष्ट्र (Maharashtra) के आठ ज़िलों में बुधवार (7 May) शाम 4 बजे एक साथ युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के लिए मॉक ड्रिल (Mock Drill) का आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को बताया कि इस अभ्यास की योजना केंद्रीय गृह सचिव के साथ परामर्श के बाद बनाई गई है।
हालांकि, फडणवीस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए ड्रिल से जुड़ी विस्तृत जानकारी साझा करने से इनकार किया।
Mumbai से नासिक तक बड़े पैमाने पर अभ्यास
गृह विभाग के विशेष सचिव अनुपकुमार सिंह ने बताया कि मॉक ड्रिल मुंबई (Mock Drill Mumbai) शहर और उपनगरीय क्षेत्रों सहित पालघर, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, पुणे, ठाणे और नासिक में आयोजित की जाएगी। नागरिक सुरक्षा निदेशक प्रभात कुमार ने बताया कि तटीय ज़िलों के विभिन्न स्थानों पर यह अभ्यास होगा। मुंबई के क्रॉस मैदान में सबसे बड़ा अभ्यास किया जाएगा।
प्रभात कुमार ने बताया कि ड्रिल की शुरुआत नागरिक सुरक्षा संस्थानों द्वारा सायरन बजाकर की जाएगी। इसके बाद लोगों को युद्ध या आपातकाल जैसी स्थिति में सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने, नुकसान को कम करने और अस्पताल तक पहुंचने की जानकारी दी जाएगी।
“हमारे स्वयंसेवक अभ्यास में भाग लेंगे और नागरिकों को यह सिखाएंगे कि संकट के समय कैसे प्रतिक्रिया दी जाए,” उन्होंने कहा।
मुख्य स्थानों पर अभ्यास, अस्पताल भी होंगे तैयार
मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT), शिवाजी पार्क और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में ड्रिल होगी। पालघर ज़िले के तारापुर परमाणु ऊर्जा स्टेशन में भी अभ्यास किया जाएगा। मुंबई पुलिस आयुक्त देवन भारती ने कहा, “ड्रिल के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।”
ठाणे ज़िले में कल्याण में ड्रिल होगी, इसकी जानकारी ठाणे कलेक्टर अशोक शिंगारे ने दी। रत्नागिरी में कलेक्टरेट, जेट्टी और राजापुर में अभ्यास होगा। कलेक्टर एम. देवेंद्र सिंह ने बताया कि मत्स्य विभाग, महाराष्ट्र मेरीटाइम बोर्ड, सीमा शुल्क और तटरक्षक बल के अधिकारी भी इस ड्रिल में भाग लेंगे।
सिंधुदुर्ग के कलेक्टर अनिल पाटिल ने बताया कि वहां ड्रिल के दौरान बिजली कटौती और सायरन का प्रयोग किया जाएगा ताकि नागरिकों को वास्तविक स्थिति जैसा अनुभव कराया जा सके।
लक्ष्य – नागरिकों को आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूक बनाना
नागरिक सुरक्षा विभाग के अनुसार, इन अभ्यासों का उद्देश्य आम जनता को सतर्क करना, उन्हें सुरक्षित स्थानों की पहचान कराना और किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तैयार करना है। अस्पतालों को भी ऐसे हालात में कैसे कार्य करना है, इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी।