मुंबई। कोल्हापुर संसदीय क्षेत्र प्रदेश की 48 सीटों में से एक है। कोल्हापुर महाराष्ट्र का एक जिला भी है। इस जिले में मौजूद किले यहां के गौरवशाली इतिहास को बयां करते हैं। जिले में 13 किले मौजूद हैं। इनमें मुदागढ़ किला, विशालगढ़ किला, पन्हाला किला काफी प्रसिद्ध हैं। इनके अलावा नया महल, छत्रपति शाहू महाराज राजमहल, राधानगरी वन्यजीव अभयारण्य, तीन दरवाजा, कलंबा झील, सिद्धगिरि ग्रामजीवन संग्रहालय और शालिनी पैलेस विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
कोल्हापुर लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें आती हैं। 2009 में हुए परिसीमन के बाद इसके अंतर्गत चांदगढ़, राधानगरी, कागल, कोल्हापुर दक्षिण, कारवीर, उत्तर कोल्हापुर की सीटों का समावेश है। कोल्हापुर संसदीय सीट पर पहला आम चुनाव साल 1952 को हुआ। यह सीट कांग्रेस पार्टी का गढ़ रही। यहां से कांग्रेस ने 10 बार जीत हासिल की। कांग्रेस के उदयसिंगराव गायकवाड सबसे ज्यादा 5 बार इस सीट से सांसद चुने गए। वहीं, सदाशिवराव मांडलिक 3 बार सांसद चुने गए। यह 1 बार कांग्रेस, 2 बार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी वहीं, 1 बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सांसद बने।
पांच बार गायकवाड़, तो चार बार जीते सदाशिवराव
कोल्हापुर लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ और इस सीट से कांग्रेस के रत्नप्पा कुंभार सांसद बने। 1957 में यहां से भारत की किसान एवं श्रमिक पार्टी के चुनाव चिह्न पर भाऊसाहेब महागांवकर चुने गए। 1962 में कांग्रेस के वीटी पाटिल, 1967 में कांग्रेस के ही शंकरराव माने और 1971 में राजाराम निंबालकर चुनाव जीते। 1977 में भारत की किसान एवं श्रमिक पार्टी से दाजीबा देसाई सांसद बने।
साल 1980, 1984, 1989, 1991 और 1996 में कांग्रेस के उदयसिंगराव गायकवाड़ कांग्रेस पार्टी से लगातार पांच बार सांसद पद का चुनाव जीते। 1998 में कांग्रेस से सदाशिवराव मांडलिक चुनाव लड़े और जीते। 1999 में वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और राकां से 1999 और 2004 में फिर से चुनाव जीते। 2009 में सदाशिवराव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे और जीत दर्ज की। 2014 में धनंजय महाडिक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से चुनाव जीते।
साल 2019 में इस सीट पर शिवसेना के संजय मांडलिक चुनाव जीतने में कामयाब हुए। इस बार लोकसभा चुनाव में यह सीट हॉट सीट बनी हुई है, इसका कारण है महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार। इस सीट पर कांग्रेस ने छत्रपति शिवाजी महाराज के 12वें वंशज छत्रपति शाहू को चुनाव मैदान में उतारा है तो वही शिवसेना (शिंदे) पार्टी की तरफ से मौजूदा सांसद संजय मंडलिक को एक बार फिर से महायुति यानी एनडीए ने अपना उम्मीदवार बनाया है।
मविआ के ब्रह्मास्त्र छत्रपति शाहू महाराज
कोल्हापुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस ने छत्रपति शिवाजी महाराज के 12वें वंशज 76 वर्षीय छत्रपति शाहू महाराज को उम्मीदवार बनाया है। साहू का कांग्रेस के साथ एक इतिहास रहा है, 1990 के दशक के अंत में शिवसेना में शामिल होने से पहले वह कुछ समय के लिए पार्टी से जुड़े रहे थे। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी कांग्रेस उम्मीदवार छत्रपति शाहू महाराज को समर्थन करने का ऐलान किया है।
एआईएमआईएम की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख और औरंगाबाद से मौजूदा सांसद इम्तियाज जलील ने समर्थन की घोषणा करते हुए कहा था कि श्रीमंत शाहू छत्रपति महाराज मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के 12वें वंशज हैं और कोल्हापुर के राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज के पोते हैं।
छत्रपति शाहूजी महाराज महान लोकतंत्रवादी और समाज सुधारक थे। उन्होंने बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर की पढ़ाई के लिए वित्तीय सहायता के साथ-साथ छुआछूत को मिटाने की कोशिश भी की थी। भीमराव अंबेडकर का कोल्हापुर के इस राजपरिवार से बेहद निकटता थी। इसी जुड़ाव के कारण बाबासाहेब अंबेडकर के पोते और वीबीए प्रमुख प्रकाश अंबेडकर ने श्रीमंत शाहू छत्रपति महाराज को अपना समर्थन देने का फैसला किया है। स्थानीय स्तर पर प्रभाव रखने वाले दो प्रमुख दलों के समर्थन से फिलहाल छत्रपति शाहू महाराज की स्थिति मजबूत दिखाई दे रही है।
पिता की विरासत को आगे बढ़ाएंगे मांडलिक!
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने कोल्हापुर के मौजूदा सांसद संजय मांडलिक को एक बार फिर से उम्मीदवार बनाया है। कोल्हापुर जिला परिषद के अध्यक्ष एवं कांग्रेस के जिला परिषद सदस्य रहे संजय मंडलिक ने दस वर्ष पूर्व कांग्रेस का साथ छोड़कर शिवसेना का दामन था। 2019 लोकसभा चुनाव में वे शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ा था और राकांपा उम्मीदवार धनंजय महाडिक को 2,70,568 वोटों से पराजित किया था। इस चुनाव में संजय मंडलिक 749,085 वोट मिले थे।
बता दें कि संजय मांडलिक के पिता सदाशिवराव मांडलिक इस सीट से चार बार सांसद रह चुके हैं। इसके अतिरिक्त वे कागल विधानसभा सीट से विधायक एवं महाराष्ट्र तथा केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। इस सीट के चुनावी इतिहास को देखते हुए मोदी लहर एवं शिवसेना के टिकट पर पिछले लोकसभा चुनाव में 2 लाख वोटों से जीत दर्ज करने वाले संजय मांडलिक के लिए परिस्थितियां अनुकूल कहीं जा सकती हैं।
लेकिन उद्धव गुट के विरोध में होने, शिवाजी के वंशज के कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में आ जाने तथा दो स्थानीय पार्टियों के उन्हें समर्थन करने से अब इस इस सीट पर लड़ाई कांटे की हो गई है। हालांकि मांडलिक अपने पिता की विरासत को कायम रखने तथा राजग के “अबकी बार चार सौ पार” नारे को हकीकत बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। अब मतदाताओं का विश्वास उन्हें कितना प्राप्त होता है, इसका बात तो मतगणना के बाद ही चलेगा।