मुंबई। भगवान महावीर के 2550 वें निर्वाण वर्ष के उपलक्ष्य में ‘हिंदी विवेक’ मासिक पत्रिका द्वारा प्रकाशित ‘तीर्थंकर भगवान महावीर’ विशेषांक का विमोचन समारोह महावीर जयंती के शुभ अवसर पर पुणे में आयोजित एक गरिमापूर्ण समारोह में संपन्न हुआ। जैन तपस्वी उपाध्याय प. पू. प्रवीण ऋषि महाराज और रा. स्व. संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर के करकमलों द्वारा विशेषांक का विमोचन किया गया।
इस दौरान मंच पर हिंदुस्थान प्रकाशन संस्था के अध्यक्ष पद्मश्री रमेश पतंगे, हिंदी विवेक मासिक पत्रिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर, हिंदी विवेक की कार्यकारी सम्पादक पल्लवी अनवेकर, सुहाना प्रवीण मसालेवाले के डायरेक्टर विशाल कुमार राजकुमार चोरडिया, पोपटलाल ओसवाल एवं राजेंद्र बाठिया उपस्थित थे।
तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्मकल्याणक दिवस ( 21 अप्रेल) के शुभ अवसर पर पुणे स्थित गोयल गार्डन में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जैन मुनि द्वारा मंगलाचरण का गायन कर महावीर वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसके बाद मंच पर उपस्थित मान्यवरों का परिचय देकर उनका स्वागत सम्मान किया गया।
विचारों का आत्मसात करें : अमोल
हिंदी विवेक के सीईओ अमोल पेडणेकर ने कहा कि तीर्थंकर महावीर के विचारों एवं सिद्धांतों को आत्मसात करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह सम्पूर्ण मानवता एवं प्राणिमात्र के लिए हितकारी है। उनके विचारों, सिद्धांतों एवं संदेशों को इस विशेषांक का प्रकाशन किया गया है।
विशाल कुमार चोरडिया ने अपनी मनोभावना व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान महावीर के विचार कालजयी हैं। यदि हम उनके मार्ग पर चलें, तो सुख-शांति और समृद्धि मिल सकती है। हिंदी विवेक ने मुझे भी महावीर के विचारों को प्रचारित करने हेतु सेवा-सहयोग के लिए सहभागी बनाया, उसके लिए मैं उनका अभिनंदन और आभार करता हूं।
सबकी पहचान अलग : रमेश पतंगे
पद्मश्री रमेश पतंगे ने कहा कि विश्व में अनेक देश हैं, मगर सबकी अपनी-अपनी पहचान है। जैसे यूरोप-अमेरिका को उनकी भौतिकता के लिए जाना जाता है, लेकिन भारत धर्मभूमि है, इसलिए इसे तपोभूमि के रूप में जाना जाता है। वेद काल से लेकर आज तक भारत धर्म भूमि के रूप में विख्यात है।
उन्होंने कहा कि इसे धर्म भूमि के रूप में टिकाए रखने के लिए जिन संत, महात्मा और महापुरुषों ने अपना योगदान दिया, उनमें महावीर जी अग्रणी रहे हैं। इसीलिए भारतीय संविधान में भी महावीर जी के अहिंसा के विचारों को महत्व दिया गया है और आर्टिकल 21 में कहा गया है कि कानून की प्रक्रिया पूर्ण किए बिना किसी को फांसी की सज़ा नहीं दी जा सकती।
अभिनंदनीय कार्य : सुनील आंबेकर
सुनील आंबेकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी विवेक एक वैचारिक प्रबोधन का उपक्रम है। इसके द्वारा राष्ट्र, धर्म और समाज सेवा के लिए निरंतर प्रासंगिक विषयों पर विशेषांक एवं ग्रंथ प्रकाशित किये जाते हैं और यह कार्य उल्लेखनीय एवं अभिनंदनीय है। हज़ारों वर्षों पहले महावीर जी ने जो मार्गदर्शन दिया, वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है। वर्तमान समय की सभी समस्याओं का समाधान उनके द्वारा बताए गए सिद्धान्तों का पालन कर किया जा सकता है। इसके साथ ही सांस्कृतिक जीवन मूल्यों के प्रति भी जागरूक होकर संकल्पबद्ध होना होगा।