Saiyaara Film Review: क्या यह नई पीढ़ी की ‘आशिकी’ बन पाएगी?

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Saiyaara Film Review: क्या यह नई पीढ़ी की ‘आशिकी’ बन पाएगी?

Saiyaara Film Review: मोहित सूरी कभी भी अपने दर्शकों को निराश नहीं करते। आशिकी 2 और एक विलन जैसी इमोशनल और हार्टब्रेकिंग फिल्मों के जरिए वे लगातार दर्शकों के दिलों पर राज करते आए हैं। उनकी फिल्में न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर हिट होती हैं, बल्कि दर्शकों के दिलों में भी लंबे समय तक बनी रहती हैं।

हाल ही में बैक-टू-बैक एक्शन और थ्रिलर फिल्मों के बाद सैयारा फिल्म रोमांस की एक ताज़ी हवा की तरह आई है। यह फिल्म नई पीढ़ी की आशिकी कही जा सकती है, जिसमें आहान और अनीत आदित्य-श्रद्धा की नई जेनरेशन की छवि हैं।


कहानी:

हर आम लव स्टोरी की तरह, इस फिल्म में भी एक गुस्सैल और नशे की लत से जूझता लड़का एक सीधी-सादी और मासूम लड़की के प्यार में पड़ता है। लेकिन इस कहानी में जो बात इसे अलग बनाती है, वो है प्यार की गहराई और कहानी की परतें।

कृष कपूर (अहान पांडे) एक महत्वाकांक्षी गायक और संगीतकार है जो इंडस्ट्री में संघर्ष कर अपनी पहचान बनाना चाहता है। उसका भी एक दिल तोड़ने वाला अतीत है।

दूसरी ओर, वानी बत्रा, जो हर छोटी बात भूल जाती है, अपने अतीत के दर्द को भुलाने की कोशिश कर रही है। उसे लिखना बेहद पसंद था, लेकिन एक हार्टब्रेक के बाद उसने लिखना छोड़ दिया। दरअसल, वानी अपने माता-पिता के साथ कोर्ट में अपने मंगेतर के साथ कोर्ट मैरिज के लिए पहुँची थी, तभी उसे फोन आया कि वह किसी और से प्यार करता है और शादी नहीं करना चाहता।

बाद में वानी को एक मनोरंजन बीट पत्रकार के रूप में नौकरी मिलती है, जहाँ उसकी मुलाकात कृष से होती है। वानी कैसे कृष के गानों के बोल बनती है — यह देखना भावुक अनुभव होगा।


अभिनय:

अहान पांडे और अनीत पड़ा निश्चित ही आने वाली पीढ़ी के सुपरस्टार बन सकते हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी पहली ही फिल्म से नेटिज़न्स का खूब प्यार बटोरा है। अभिनय की बात करें तो दोनों ने भावनाओं को बखूबी निभाया है। कई दृश्य ऐसे हैं जहाँ उन्होंने बिना संवाद बोले सिर्फ अपनी आँखों से भावनाएँ व्यक्त की हैं और दर्शकों को इमोशनल कर दिया है।

अहान की एक्टिंग शुरुआत में थोड़ी साधारण लगी, लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, वह अपने अभिनय से प्रभावित करते हैं और आँखें नम कर देते हैं। अनीत का अभिनय बेहद नैसर्गिक है — उनकी मासूमियत और सादगी दर्शकों को भाती है। दोनों ने अपने किरदारों को पूरी ईमानदारी से निभाया है और उनकी मेहनत साफ झलकती है।


संगीत:

सैयारा का संगीत, उसके गाने और लिरिक्स इस फिल्म की आत्मा हैं। बहुत ही मधुर और भावपूर्ण गीत फिल्म में शामिल किए गए हैं। आज के दौर में जहाँ ओरिजिनैलिटी और ‘फील’ अक्सर गायब होती है, वहीं इस फिल्म में एकदम ओरिजिनल और दिल को छू लेने वाले म्यूजिक कम्पोजीशन दिए गए हैं।

मिथून, फहीम अब्दुल्ला, विशाल मिश्रा, सचेत-परंपरा और तनिष्क बागची की टीम ने कहानी के इमोशंस को संगीत के साथ खूबसूरती से पिरोया है।


कमज़ोर पहलू:

फिल्म की शुरुआत थोड़ी धीमी लगती है और स्टोरीलाइन आशिकी जैसी प्रतीत होती है। कुछ दृश्य अनावश्यक रूप से लंबे लगते हैं, जिससे रफ्तार थोड़ी धीमी हो जाती है। हालांकि, भावनात्मक दृश्य इन खामियों की भरपाई कर देते हैं।

अहान की एक्टिंग में सुधार की गुंजाइश है, खासकर फिल्म की शुरुआत में। लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, वे अपने अभिनय में गहराई लाते हैं।


फाइनल वर्डिक्ट

सैयारा एक ऐसी फिल्म है जो सीधे दिल में उतरती है। एक आम सी लगने वाली लव स्टोरी किस्मत, हालात और टूटे रिश्तों से लड़ती है और सच्चे प्यार की गहराई में ले जाती है। यह फिल्म हर उस इंसान से जुड़ती है जिसने कभी प्यार किया हो, या कभी दिल टूटा हो।

यह फिल्म आपको रुलाएगी, आपको सोचने पर मजबूर करेगी और अंत में आपको सच्चे प्यार की मिठास और दर्द दोनों का एहसास कराएगी। सैयारा एक साधारण लेकिन भावनाओं से भरी और प्रभावशाली प्रेम कहानी है।

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