
कुछ फिल्में सिर्फ देखने के लिए नहीं होतीं, उन्हें महसूस किया जाता है — और Metro…इन दिनों उन्हीं फिल्मों में से एक है। अनुराग बासु की इस बहुप्रतीक्षित फिल्म में एक नहीं, कई कहानियाँ हैं, जो बड़े शहरों की तेज़ रफ्तार, अकेलेपन और अनकहे रिश्तों के बीच चुपचाप सांस लेती हैं। यह फिल्म न केवल ‘Life in a… Metro’ और ‘Ludo’ के बाद उनकी हाइपरलिंक ट्रायोलॉजी की अंतिम कड़ी है, बल्कि आज के दौर में रिश्तों की बदलती परिभाषा का संवेदनशील चित्रण भी है।
अनुराग बासु एक ऐसे निर्देशक हैं, जिनकी फिल्मों में किरदार सिर्फ संवाद नहीं बोलते — वे चुप रहते हुए भी बहुत कुछ कह जाते हैं। Metro…इन दिनों भी वैसी ही एक यात्रा है — जहां रिश्ते समय, दूरी और हालात से टकराते हुए भी जुड़े रहते हैं। इस फिल्म में दर्शक खुद को, अपने शहर को और अपनी अधूरी कहानियों को पहचान सकते हैं।
फिल्म की सबसे बड़ी ताक़त इसका कलाकार समूह है, जिसमें अनुपम खेर, पंकज त्रिपाठी, कोंकणा सेन शर्मा, आदित्य रॉय कपूर, सारा अली खान, फातिमा सना शेख, अली फज़ल, नीना गुप्ता और सास्वत चटर्जी जैसे कलाकार शामिल हैं। ये सभी मिलकर परदे पर एक ऐसा जादू रचते हैं जो दिल में गूंजता है, लंबे समय तक। हर किरदार किसी न किसी शहरवासी की कहानी है — कभी मजबूर, कभी उलझा हुआ, तो कभी बस अपनी तलाश में।
इस पूरी यात्रा को और भी गहराई देती है प्रीतम की संगीतबद्धता। ‘Zamaana Lage’, ‘Dil Ka Kya’, ‘Mann Ye Mera’, ‘Yaad’ जैसे गाने केवल सुनने के लिए नहीं हैं — ये महसूस करने के लिए हैं। हर गीत एक मूड, एक समय और एक एहसास से जुड़ा है। अरिजीत सिंह, पापोन, राघव चैतन्य, शाश्वत सिंह जैसे गायकों ने अपनी आवाज़ से इन गानों को आत्मा दी है।
Metro…इन दिनों असल मायनों में मेट्रो सिटी की जिंदगी का प्रतिबिंब है। फोन की घंटी, ट्रैफिक की आवाज़, फ्लैट की खामोशी, भीड़ की तन्हाई — सब कुछ इसमें जीवंत है। फिल्म रिश्तों की उन परतों को छूती है जिन्हें हम अक्सर रोज़मर्रा की ज़िंदगी में नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
4 जुलाई 2025 को जब यह फिल्म सिनेमाघरों में आएगी, तो यह सिर्फ एक फिल्म नहीं होगी — यह एक आईना होगी जिसमें शायद आप खुद को भी देख पाएंगे। Gulshan Kumar & T-Series द्वारा प्रस्तुत, Anurag Basu Productions के सहयोग से बनी Metro…इन दिनों को अनुराग बासु ने निर्देशित किया है और संगीत दिया है प्रीतम ने। निर्माता हैं भूषण कुमार, कृष्ण कुमार, अनुराग बासु और तानी बासु।
इस फिल्म को देखना, दरअसल अपनी ही कहानी को परदे पर देखना है।