
ऐक्टर: कपिल शर्मा, आयेशा खान, त्रिधा चौधरी, हीरा वरीना, मंजोत सिंह
श्रेणी: रोमांटिक कॉमेडी / फैमिली ड्रामाडायरेक्टर: अनुकल्प गोस्वामी
अवधि: 2 घंटे 18 मिनट
रेटिंग: ⭐⭐✨ (2.5/5)
स्टैंड-अप कॉमेडी की दुनिया से बड़े पर्दे तक सफ़र तय करने वाले कपिल शर्मा एक बार फिर अपनी नई रोमांटिक-कॉमेडी लेकर आए हैं। किस किसको प्यार करूं 2 (Kis Kisko Pyaar Karu 2) का मकसद साफ़ है—हल्की-फुल्की हंसी, थोड़ा ड्रामा और कपिल की वही पुरानी कॉमिक टाइमिंग। मगर इस बार कहानी एक ऐसे चक्रव्यूह में फँसती है जो इसे मज़ेदार कम और उलझन-भरा ज़्यादा बनाता है।
कहानी
फिल्म में मोहन शर्मा (कपिल शर्मा) भोपाल का रेस्टोरेंट चलाने वाला आम आदमी है, जो प्यार के चक्कर में कई धर्म और कई रिश्तों के बीच अटक जाता है। उसकी प्रेमिका सान्या (हीरा वरीना) मुस्लिम है और परिवार आपत्ति करता है। मोहन उस तक पहुँचने के लिए इस्लाम कबूल कर लेता है, लेकिन निकाह के दिन सान्या ग़ायब हो जाती है और हालात ऐसे बनते हैं कि उसकी बहन रूही (आयेशा ख़ान) उससे निकाह पढ़ लेती है।इधर, मोहन के अपने परिवार वाले उसे एक हिंदू लड़की मीरा (त्रिधा चौधरी) से शादी करा देते हैं। और तभी सान्या का कॉल आता है—वो गोवा में चर्च वेडिंग के लिए बुला रही है, यानी अब मोहन को ‘माइकल’ भी बनना पड़ेगा! तीन शादियों, तीन नामों और तीन धर्मों के बीच उसकी ज़िंदगी हंसाने के बजाय थका देती है।
फिल्म कैसा अनुभव देती है?
फिल्म का ट्रीटमेंट पूरी तरह पुरानी शैली का है—लाउड एक्टिंग, ओवर-द-टॉप एक्सप्रेशन और 90s-स्टाइल कन्फ्यूजन कॉमेडी। मज़ेदार सेट-अप तो बहुत हैं, लेकिन पंचलाइन ज्यादातर जगहों पर कमजोर पड़ जाती है। क्लाइमेक्स में अचानक मिलने वाली सीख भी काफी बनावटी लगती है।कपिल शर्मा की स्क्रीन प्रेज़ेंस अब भी लोगों को आकर्षित करती है और उनके फैन्स को कई सीन्स मज़ेदार लग सकते हैं। नवजोत सिंह सिद्धू और ‘सावधान इंडिया’ से जुड़े जोक कभी-कभार हंसा देते हैं, लेकिन पूरी फिल्म में निरंतर हंसी का फ्लो नहीं बन पाता।एक्ट्रेस में आयेशा खान और त्रिधा चौधरी को अच्छे मोमेंट्स मिलते हैं। परुल गुलाटी और हीरा वरीना ग्लैमर जोड़ती हैं, हालांकि उनके किरदार गहराई से नहीं लिखे गए।
वर्डिक्ट
किस किसको प्यार करूं 2 एक ऐसी फिल्म है जो हँसी का वादा तो करती है, लेकिन वो हंसी ज़्यादा देर तक टिकती नहीं। कपिल शर्मा अपनी पूरी कोशिश करते हैं कि दर्शक मुस्कुराते रहें, पर कहानी की उलझनें और पुरानी स्टाइल की कॉमेडी फिल्म को बार-बार धीमा कर देती हैं।
