कामयाबी का शिखर, नौकरी लेने वाले नहीं, देने वाले बनें

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पूरी दुनिया में नौकरियों की किल्लत हो रही है। दूसरी तरफ दुनिया में संपत्ति बनाने की दर इतिहास में सबसे तेज है। अगर इसको थोड़े और स्पष्ट शब्दों में कहें तो आज हर साल 20 खरब डॉलर की नई संपदा (एसेट्स) निर्मित हुई हैं और जाहिर है ये सब नए नए दिमागी कारोबारों से हो रही है।

मतलब साफ है कि नौकरी करने के मुकाबले कारोबार यानी अपना बिजनेस करने में असंख्य गुना कामयाबी की संभावनाएं होती हैं। यह अकारण नहीं है कि आज दुनियाभर के जितने बेहतरीन ब्रेन हैं, वे नौकरियां नहीं करते बल्कि अपना कोई न कोई कारोबार करते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी से लेकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और ओबामा से लेकर जो बाइडेन तक अमरीकी राष्ट्रपति अकसर युवाओं से कहते हैं नौकरी पाने वालों की जगह बेहतर है, नौकरी देने वाले बनें। लेकिन कहना भले आसान हो, अपने कारोबार में कामयाबी पाना आसान नहीं है।

लेकिन सच्चाई यह है कि आने वाला जमाना नौकरी पाने वालों से कहीं ज्यादा बेहतर नौकरी देने वालों का ही होगा। सवाल है अपने कारोबार में निश्चित सफलता कैसे हासिल करें, जिससे हमारी अपनी तमाम महत्वाकांक्षाएं तो पूरी ही हांे, साथ ही कई लोगों को जॉब दे सकें? एक बार फिर दोहरा लें कि यह इतना आसान नहीं है, लेकिन मुश्किल भी नहीं है बशर्ते हम इन कुछ बातों पर गौर करें।

अपने सपने पर दृढ़ रहें

यह स्टार्टअप का जमाना है। पारंपरिक उद्योगपतियों की जगह आज नए व्यवसायी स्टार्टअप के बारे में सोचते हैं और यह इसलिए पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा आसान है, क्योंकि बाजार में आपके बेहतरीन आइडिये के लिए हर तरफ पूंजी है। लेकिन देखा गया है कि 100 में 90 स्टार्टअप पूरी तरह से फेल हो जाते हैं और शेष बचे 10 में भी कम से कम 6-7 घिसटते हुए चलते हैं।

इसकी बड़ी वजह यह है कि स्टार्टअप का सपना देखने वाले ज्यादातर पहली एक दो असफलताओं के बाद ही अपने सपने पर दृढ़ नहीं रहते। जबकि अपना व्यवसाय शुरू करने के पहले इस बात को मजबूती से गांठ बांध लें कि जल्दबाजी में कारोबार शुरु न करें और जब एक बार शुरू कर लेें तो जल्दबाजी में बंद न करें।

ओरियो होटल चेन स्टार्टअप शुरु करने वाले रितेश अग्रवाल पहले तीन सालों तक बार बार नाकामयाब होते रहे। एक स्थिति तो यहां तक आई कि उनके पास एक टाइम डिनर करने तक के पैसे नहीं थे। लेकिन वे अपने सपने पर दृढ़ रहे और 23 साल की उम्र में 6 हजार करोड़ की होटल रूम्स चेन कारोबार के मालिक बन गए और आज बिना किसी होटल की एक ईंट लगाए, दुनिया में सबसे बड़ी होटल रूम्स श्रृंखला के मालिक हैं। यह सब इसलिए संभव हुआ, क्योंकि उन्हें अपने सपने पर भरोसा था।

कारोबार को बुनियाद से सीखिए

कामयाबी का पहला नियम है कि आपको उसी क्षेत्र में सफलता मिलेगी, जिस क्षेत्र की एक एक चीज आप जानते हों। इसलिए जो भी कारोबार आप शुरू करना चाहते हों, जरूरी है कि उसे बुनियाद से सीखें। इसकी वजह ये होती है कि दुनिया का कोई ऐसा कारोबार नहीं होता जिसमें आप अकेले हों।

दुनिया के किसी भी कारोबार में हर समय लाखों लोग एक साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे होेते हैं। इस रेस में वही जीतते हैं, जो उस कारोबार की कड़ी कड़ी का कीड़ा हों यानी उसे सबकुछ पता हो।

बिल गेट्स जैसा इनोवेशन का सम्राट 80 के दशक में जब माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय अमेरिका में दो, चार, दस नहीं एक हजार से ज्यादा युवक उन्हीं की तरह कंप्यूटर के क्षेत्र में कुछ बड़ा करने के लिए दिन रात एक किए हुए थे।

लेकिन बिल गेट्स में दूसरों के मुकाबले फर्क या खूबी यह थी कि वह भले कॉलेज ड्राप आउट थे, लेकिन वह न केवल डेस्कटॉप के सपने में दिन रात जी रहे थे बल्कि इन सबके बारे में हर बुनियादी चीज के जानकार थे। अंततः विंडो बनाने में और रोजमर्रा के ऑफिस वर्क को सिस्टमेटिक तरीके से करने के लिए सॉफ्टवेयर डवलप करने में उन्हें ही कामयाबी मिली और बाकी सब इतिहास है।

मजबूत हो नेटवर्क

अपना व्यवसाय करते समय इंसान को अपनी आंख, नाक, कान, न सिर्फ सब खुले रखना चाहिए बल्कि चौबीसों घंटे सजग मुद्रा में रहना चाहिए। कंप्यूटर हार्डवेयर क्षेत्र के बादशाह शिव नाडार एक दफ्तर में मामूली र्क्लक थे। लेकिन कंप्यूटर हार्डवेयर में न सिर्फ उनकी दिलचस्पी थी बल्कि उनकी बॉडी से लेकर फंक्शन की समूची गतिविधि पर जबरदस्त दिलचस्पी रखते थे और उनकी इन दिलचस्पी ने एक दिन उनके दिल के दरवाजे पर दस्तक दी कि अगर र्क्लक की नौकरी करते रहे तो जिंदगीभर यही करते रहोगे।

उन्होंने दिल की बात पर दिमाग से विमर्श किया और दिमाग का सिग्नल पाते ही राजधानी दिल्ली में एक गैराज से महज ढाई सौ रुपये के महीने पर अपना दफ्तर खोलकर एचसीएल की नींव रख दी। बाद में उनकी सफलता की कहानियां फिल्मी फंतासियों में शुमार हो गईं। लेकिन यह कभी नहीं होता, अगर वह अपनी रूचि के सभी नेटवर्क से लगातार टच में नहीं होते।

अधीनस्थों को प्रोत्साहन दें

कामयाबी एक चेन रिएक्शन होती है। अगर आप सिर्फ अपनी मेहनत और दिमागी मेधा की बदौलत कामयाब हैं तो वह कामयाबी हमेशा सीमित रहेगी। कामयाबी दिन दूनी, रात चौगुनी आकार तभी लेगी, जब आप ही जैसे आपके मातहत लोग भी सोचने लगें।

लब्बोलुआब यह कि अपने मातहतों को इतना प्रोत्साहित करें, वह न सिर्फ आपके भरोसे पर रहें बल्कि खुद से अपने दिमाग का स्वतंत्र इस्तेमाल करें और आपकी कामयाबी में योगदान करें। लेकिन यह तभी संभव होगा, जब आप अपने अधीनस्थों को ईमानदारी और योग्यता से चुनें और उन्हें वह सब कुछ देने की दिल से कोशिश करें, जो सब कुछ आपकी अपनी तमन्ना है।

ग्राहक सचमुच भगवान

यकीन मानिये पूरी दुनिया का कारोबार का अंतिम सिरा सिर्फ उपभोक्ता पर जाकर खत्म होता है। किसी भी कारोबार की कामयाबी का अंतिम बिंदू उस उत्पाद या सेवा का उपभोक्ता ही होता है। इसलिए ग्राहक या उपभोक्ता को भगवान मानें और भगवान मानने का यह मतलब नहीं है कि उसकी पूजा करें बल्कि उसे बेहतर से बेहतर सेवा या गुणवत्तापूर्ण उत्पाद देने की कोशिश करें। अगर आपका ग्राहक आपसे खुश रहेगा तो कामयाबी आपके पिछवाडे से कभी दूर नहीं जाएगी।

ग्राहक अगर गुणवत्ता की भरपूर परख नहीं रखता, तो भी उसे इसके लिए सचेत करें, यह न समझें कि इससे आपको परेशानी होगी। एक बार जब ग्राहक के दिल में यह बात घर कर जायेगी कि आप उसके शुभचिंतक हैं, तो वह हमेशा हमेशा के लिए आपका शुभचिंतक बन जायेगा।
नरेंद्र कुमार

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