कई बार कोई योजना बिना किसी क्रांति का दावा किए किसी मुकम्मिल बदलाव का प्रतीक बन जाती है। 15 अगस्त 2023 को लाल किले की प्रचीर से देश को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने ‘लखपति दीदी योजना’ की घोषणा की थी और 23 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू व राज्यपाल कलराज मिश्र की उपस्थिति में राजस्थान के जैसलमेर स्थित शहीद पूनम सिंह स्टेडियम से योजना की औपचारिक रूप से शुरुआत हुई थी।
इस योजना का लक्ष्य देश भर के गांवों में 2 करोड़ महिलाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान था, ताकि उनकी सालाना इनकम को 100000 या इससे ज्यादा किया जा सके। इस तरह समग्र रूपसे लखपति दीदी योजना गरीबी उन्मूलन और आर्थिक सशक्तिकरण के मिशन के तौरपर लांच की गई थी।
लेकिन बहुत कम समय में इस योजना ने किस तरह खुद को गेम चेंजर साबित किया है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1 फरवरी 2024 को अपने अंतरिम बजट भाषण में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा “नौ करोड़ महिलाओं के साथ 83 लाख एसएचजी (सेल्फ हेल्प ग्रुप ) सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता के साथ ग्रामीण समाज का सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य बदल रहे हैं।
उनकी सफलता ने लगभग 1 करोड़ महिलाओं को पहले ही लखपति दीदी बनने में मदद की है’’ लखपति दीदी योजना की इस सफलता से उत्साहित होकर वित्तमंत्री ने योजना का लक्ष्य 2 करोड़ महिलाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने से बढ़ाकर 3 करोड़ का लक्ष्य कर दिया है। इस योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को प्लंबिंग, एलईडी बल्ब बनाने और ड्रोन के संचालन जैसे दर्जनों कामों में महारत किया जा रहा है।
साल 2021-22 में भारतीय श्रमबल में महिलाओं की हिस्सेदारी 32.8 फीसदी थी, लेकिन साल 2022-23 में स्वालंबी लखपति दीदियों की बदौलत श्रमबल में महिलाओं की यह हिस्सेदारी बढ़कर 37 फीसदी हो गई। करीब 4.2 फीसदी से ज्यादा का यह उछाल गदगद करने वाला है।
इस साल यानी 2024 में ऐसी महिलाएं जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है, ऐसी महिलाओं को उद्यमिता विकास हेतु सरकार द्वारा बिना ब्याज के 5,00,000 का लोन दिया जाएगा साथ ही इस योजना से जुड़ी महिलाओं को विभिन्न क्षेत्र में रोजगार पाने के लिए जरूरी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए जब यह योजना लागू की गई थी, तब किसी को नहीं पता था कि इतनी तेजी से यह अपना सकारात्मक विस्तार करेगी। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र की ऐसी महिलाओं को जिनकी सालाना आय राष्ट्रीय औसत से कम है, उन्हें भारत सरकार एक लाख रुपए तक का ऋण और किसी क्षेत्र विशेष में कुशल बनाने के लिए प्रशिक्षण देती है,बशर्ते यह महिला किसी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हो।
एक बार जब महिलाएं प्रशिक्षित हासिल कर लेती हैं तो वह न केवल देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से योगदान देती हैं बल्कि अपनी आर्थिक स्थिति में जबरदस्त इजाफा करती हैं। इस योजना के तहत महिलाओं को कई तरह से फायदे पहुंचाये जाते हैं जैसे उन्हें किसी एक क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जाता है जिससे वह अपना कोई उद्यम स्थपित कर सके या किसी के साथ उस उद्यम में जुड़कर आय में रोजगार हासिल कर सके।
साल 2025 तक 3 करोड़ ग्रामीण महिलाओं को इसके लिए लक्षित किया गया है, जो अपनी सालाना आय में 1 लाख रुपए का इजाफा करेंगी। इस योजना के लाभ हासिल करने के लिए महिलाओं में अपने आर्थिक उत्थान के लिए जज्बा होना चाहिए। योजना के तहत महिलाओं को दिया गया ऋण बिना ब्याज का होता है, साथ ही उन्हें व्यवसाय प्रशिक्षण और बीमा कवरेज भी मिलता है।
वास्तव में इस योजना का उद्देश्य इससे जुड़ी हर महिला की एक लाख रुपए शुद्ध सालाना आय करनी है। इस योजना के तहत महिलाओं को विभिन्न नारी समूहों में फाइनेंशियल लिटरेसी का प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्हें सेविंग, इनसेंटिव्स प्रदान किए जाते हैं। वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाती है। महिलाओं को डिजिटल फाइनेंशियल इनक्लूजन के दायरे में लाया जाता है।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए महिलाओं का अपना आधार कार्ड होना चाहिए। निवास का प्रमाण पत्र होना चाहिए। उनकी सालाना आय क्या है, इसका प्रमाण पत्र होना चाहिए। राशन कार्ड, बैंक एकाउंट एक रजिस्टर्ड मोबाइल फोन नंबर और पासपोर्ट साइज की एक फोटोग्राफ होनी चाहिए। इतने दस्तावेजों के साथ कोई भी महिला इस योजना में लाभ पाने की हकदार बन सकती है और इससे जुड़कर अपनी आर्थिक स्थिति बदल सकती है।
वैसे भी संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने कई साल पहले ही स्पष्ट घोषणा की थी कि भारतीय अर्थव्यवस्था चमत्कार कर सकती है, अगर इसमें महिलाओं की भागीदारी कम से कम 40 से 45 फीसदी तक हो जाए। जिस तरह से मोदी सरकार महिलाओं के उत्थान के लिए विभिन्न तरह की योजनाएं लागू किया है, उससे वह दिन दूर नहीं जब सही मायनों में व्यवहारिक नजरिये से महिला सशक्तिकरण को चिह्नित किया जाएगा।
वैसे भी पिछले कुछ सालों में मुद्रा योजना के तहत महिला उद्यमियों को बड़े पैमाने पर आर्थिक सहायता की गई है, उन्हें अपने हौसलों की व्यवसायी उड़ान के लिए कई सौ करोड़ रुपये के लोन दिए गए हैं।
साथ ही सरकार ने कई लाभ की योजनाओं से उन्हें रणनीतिक तौरपर जोड़ा है, जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हुई हैं। मसलन प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 70 फीसदी आवास महिलाओं के नाम पर दिए गए हैं। जिससे महिलाओं की आर्थिक मजबूत हुई है।
बिहार में नीतीश कुमार और मध्य प्रदेश में अब के पहले मुख्य मंत्री रहे शिवराज सिंह चैहान को महिलाओं का प्रिय नेता इसलिए कहा जाता था क्योंकि महिलाओं ने अपने सशक्तिकरण में इन नेताओं की भूमिका के चलते उन्हें लगातार राजनीतिक रूप से समर्थन दिया है।
अब इस सूची में प्रधानमंत्री मोदी का नाम भी जुड़ चुका है और यह तय मानिए कि महिलाओं ने अगर सुशासन बाबू और मामा के मुकाबले प्रधानमंत्री मोदी पर आधी इनायत भी कर दी तो सियासत के सारे समीकरण बदल जाएंगे। इसीलिए यह योजना गेमचेंजर साबित होने वाली है।
वीना गौतम