सामान जितना पुराना हो जाता है, उसकी कीमत भी उतनी ही बढ़ जाती है। ऐसे कीमती सामानों को लोग संभालकर रखते हैं। ऐसे ही जयपुर के अनोखे आर्टिस्ट विनय शर्मा हैं, जिन्होंने अपने जीवन के 40 साल लगाकर अपने घर पर ही एक अनोखा संग्रहालय तैयार किया है। जयपुर के जगतपुरा में रहने वाले विनय कुमार शर्मा ने अपने घर में ही एक मिनी स्टूडियो अतीत राग खोल रखा है।
जिसमें पुराने समय के टेलीफोन, कैमरे, बाईस्कोप, टाइप राइटर, टेलीविजन, रेडियो, ग्रामोफोन जैसी तमाम चीजें हैं और इनमें से ज्यादातर एंटीक आइटम 100 सालों से भी ज्यादा पुराने हैं। इसमें एक रेडियो कम्युनिकेशन का टेलीफोन है, जिसे विनय शर्मा जर्मनी से जयपुर लेकर आए थे। वर्ल्ड वॉर के समय का अनोखा टेलीफोन विनय शर्मा के स्टूडियो में संग्रहित किया गया है।
उसमें एक टेलीफोन सबसे खास है, जो वर्ल्ड वॉर के समय हिटलर की सेना ने युद्ध में आपसी संवाद के रूप में काम में लिया था। यह अनोखा टेलीफोन बहुत यूनिक तरीके से एक बॉक्स के अंदर ही बना हुआ है, जो लगभग 5 से 6 किलो का है। इसके अंदर ही सब कुछ बना हुआ हैं।
विनय शर्मा ने इस कीमती टेलीफोन को सालों से संभालकर रखा है। लेकिन अब यह फोन चालू स्थिति में नहीं है, क्योंकि यह पुराने समय की तकनीक के हिसाब से चलता था और अब तकनीकी रूप से फोन और टेलीफोन सब एंडवास तकनीकी के हो गए हैं।
अतीत राग स्टूडियो के बारे में विनय शर्मा बताते हैं कि जब वह 11वीं के छात्र थे, तक से ही उनका आकर्षण इन चीजों के लिए रहता था और तब से ही उन्होंने इन एंटिक चीजों को इकट्ठा करना शुरू किया। धीरे-धीरे उन्होंने एक मिनी संग्रहालय तैयार कर लिया।
विनय शर्मा बताते हैं कि ये सभी एंटिक सामान उस समय समाज के लोगों से जुड़े हुए और आज की तकनीक चीजों से बिल्कुल अलग हैं। अतीत राग में 100 साल पुराने ऐसे कीमती सामान हैं, जिसे उस समय हमारे पूर्वजों ने इस्तेमाल किया था। विनय शर्मा ने यह स्टूडियो अपने घर पर ही बना रखा हैं।
उन्होंने बताया कि यहां पुराने समय के रेडियो मौजूद हैं, जो पहले के समय कई लोगों को बांधकर रखते थे। साथ ही ऐसी कई दिलचस्प चीजें हैं, जो आज के समय के युवाओं ने देखी भी नहीं होगी। अतीत राग स्टूडियो में रखे इन सभी सामानों को अब तक भारत के कई अलग-अलग राज्यों में प्रदर्शित भी किया जा चुका है।
साथ ही यहां इन एंटिक चीजों को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। यहां इतनी एंटिक चीजों के कलेक्शन हैं, जिन सामानों पर कई शोध स्टूडेंट्स PHD भी कर चुके हैं।