शक्ति

भीलवाड़ा (Bhilwara) राष्ट्र सेविका समिति के स्थापना दिवस एवं संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष की भांति विजयादशमी पर भीलवाड़ा विभाग द्वारा शक्ति संगम पथ संचलन का आयोजन किया गया। संचलन के पूर्व दोपहर 3 बजे शस्त्र पूजन के साथ विजयादशमी उत्सव मनाया गया, जिसमें मंच मुख्य अतिथि के तौर पर अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक समग्र शिक्षा (भीलवाड़ा) डॉ कल्पना शर्मा, मुख्य वक्ता के तौर पर राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख एवं वायव्य क्षेत्र कार्यवाहिका वंदना वजीरानी और चित्तौड़ प्रांत बौद्धिक प्रमुख सुशीला पारीक की उपस्थिति से अलंकृत हुआ। मुख्य अतिथि कल्पना शर्मा ने एक भारत, श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साथ लेकर चलने का संदेश दिया और कहा कि महिलाओं का यह संचलन समरसता और राष्ट्रीय उत्थान का संदेश देता है। आज महिलाएं पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलकर राष्ट्र उत्थान के लिए बराबर की भागीदारी रखती है। मुख्य वक्ता वंदना वजीरानी ने अपने बौद्धिक में मौसीजी और ताईजी को याद करते हुए गणवेश में नन्ही सेविकाओं की अत्यंत सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जिसे मां के रूप में पूजा जाता है। संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर डॉक्टर साहब को याद करते हुए कहा कि उनके नाम को आज बच्चा बच्चा जानता है। परतंत्रता की विषम परिस्थितियों में डॉक्टर साहब ने ऐसे संगठन की स्थापना की, जो देश पर अपना सर्वस्व समर्पण करने को सदा तैयार रहता है। साथ ही उन्होंने कहा कि गरुड़ रूपी राष्ट्र को ऊंची उड़ान भरने के लिया दोनों पंखों (स्त्री एवं पुरुष) का सशक्त होना आवश्यक है। इसी चिंतन के साथ वंदनीय मौसीजी ने संघ के समानांतर महिलाओं के लिए राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना की। सोना जितना तपता है, उतना चमकता है। उसी तरह शाखा के माध्यम से सेविका का शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकास होता है। विभिन्न प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से एक निष्णात सेविका का निर्माण होता है। आज संगठन के साथ साथ जागरण श्रेणी में भी हमारा संगठन सक्रिय है। आज हमें स्व का बोध करने की आवश्यकता है। मातृशक्ति को संबोधित करते हुए कहा कि नारी अबला नहीं, सबला है। भारत की रक्षा करना हर भारतीय का परम कर्तव्य है। मुसीबत आने पर हर स्त्री को झांसी की रानी व लक्ष्मीबाई की तरह अग्रसर होना चाहिए। संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर पंच परिवर्तन का उल्लेख करते हुए कहा कि परिवार, समाज और देश में इन्हें अपनाने की आवश्यकता है। हमारी गणवेश मात्र वस्त्र या भूषा नहीं है, बल्कि हमारे स्वाभिमान का प्रतीक है। अंत में उन्होंने विजयादशमी पर मौसीजी के साथ ही डॉक्टर साहब का जीवन परिचय पढ़ने का संकल्प लेने का सभी से आग्रह किया। कार्यक्रम के बाद 4.00 बजे प्रचल की आज्ञा के साथ घोष पर कदमताल करते हुए पथ संचलन राजेंद्र मार्ग विद्यालय से आरंभ होकर संकट मोचन बालाजी, गोल प्याऊ चौराहा, रेलवे स्टेशन (अंबेडकर सर्किल), झूलेलाल सर्किल, सत्यनारायण मंदिर, आजाद चौक, प्रताप टॉकीज रोड, मिनि मॉल, सूचना केन्द्र, भोपाल क्लब, पुलिस थाना भीमगंज, आयुर्वेदिक हॉस्पिटल, फतेह टावर, बाटा शोरूम, सिटी कोतवाली होते हुए पुनः राजेंद्र मार्ग विद्यालय पहुंचा। 5 घोष गण के साथ शिशु, बाल, किशोरी, तरूणी, गृहिणी और प्रौढ़ वर्ग की कुल 22 वाहिनियों में 5 वर्ष से 80 वर्ष तक की मातृशक्ति जब कदम से कदम मिलाकर चल रही थी, तो शक्ति की आराधना को समर्पित विजयादशमी पर्व सार्थक होता प्रतीत हो रहा था। नन्ही नन्ही बालिकाओं को इतने लंबे मार्ग पर उत्साह के साथ कदमताल करते देख दर्शक भावविभोर होकर भारत माता का जयघोष कर रहे थे। संचलन मार्ग में विभिन्न सामाजिक और व्यावसायिक संस्थाओं, संगठनों और शहरवासियों ने भारत माता के जयघोष और पुष्प वर्षा द्वारा समस्त मातृशक्ति का उत्साहवर्धन किया। संचलन में भीलवाड़ा सहित मांडल, शाहपुरा, आसींद, जहाजपुर, बीगोद, महुआ, बदनोर, कोटड़ी, बनेड़ा, गुलाबपुरा, गंगापुर, हुरड़ा आदि जिले के 25 स्थानों से कुल 574 सेविकाओं ने भाग लिया। लघु उद्योग भारती, शिक्षक संघ, सक्षम, विद्या भारती, सहकार भारती, हिन्दू जागरण मंच, दुर्गा वाहिनी, विश्व हिंदू परिषद, दुर्गा शक्ति अखाड़ा, भारत विकास परिषद, वनवासी कल्याण परिषद जैसे कई संगठनों ने संचलन का भव्य स्वागत किया।
रिपोर्ट – पंकज पोरवाल
