Barmer: वाणी उत्सव 2025 में 500 गायकों और मातृशक्ति का भव्य प्रदर्शन

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Barmer। थार की लुप्त हो रही लोक संस्कृति को जीवंत बनाए रखने और वाणी गायन की परंपरा को मजबूत करने के लिए रूमा देवी फाउंडेशन और ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान द्वारा आयोजित वाणी उत्सव 2025 और दानजी स्मृति मारवाड़ भजनी पुरस्कार समारोह का दो दिवसीय भव्य आयोजन थार नगरी बाड़मेर में जारी है।

भव्य शोभायात्रा से उत्सव का शुभारंभ

इस ऐतिहासिक आयोजन की शुरुआत एक भव्य शोभायात्रा से हुई, जिसमें वाणी गायक, मातृशक्ति बहनें और संगीत प्रेमी महिला-पुरुष पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए। यह शोभायात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए, वाणी गायन और हरजस गायन की मधुर धुनों के साथ उत्सव स्थल तक पहुंची।

हरजस गायन को मिला नया मंच

दो दिवसीय वाणी उत्सव के पहले दिन, 500 से अधिक वाणी गायकों और 500 से अधिक मातृशक्ति बहनों ने अपने सुरों से पारंपरिक गायन कला की अनूठी छटा बिखेरी। विशेष रूप से हरजस गायन, जो अब तक गाँव-ढाणी और आंगनों तक सीमित था, पहली बार बड़े मंच पर प्रस्तुत किया गया, जिससे इस परंपरा को नए आयाम मिले। यह पहल हरजस गायन को पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो इस सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और प्रचार में सहायक सिद्ध होगी।

देशभर से प्रतिष्ठित कलाकारों की सहभागिता

शाम 7 बजे से शुरू हुए वाणी भजन प्रतियोगिता कार्यक्रम में लोक संगीत की यह अनूठी परंपरा अपने चरम पर पहुंची। गणेश वंदना व गुरू वधावा के भजनो से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।

राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, पंजाब सहित विभिन्न राज्यों से पहुंचे वाणी गायक कलाकारों ने कबीर, मीरा, गोरख, दादू, डूंगरपुरी जैसे संतो के पारंपरिक भजनों की शानदार प्रस्तुतियां दीं। इस दौरान वीणा, ढोलक, खड़ताल और अन्य पारंपरिक वाद्ययंत्रों की संगत में भजनों की गूंज ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

रात एक बजे के बाद देशकाल की परंपरा के अनुरूप वाणी प्रतियोगिता होगी जिसमें अनुभवी कलाकार बिना साउंड सिस्टम से परम्परागत तरीके से अपने ज्ञान और स्वर साधना का अद्भुत परिचय देगें।

इस उत्सव में स्थानीय वाणी गायक कलाकारों के साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित लोक कलाकारों ने भाग लिया, जिनमें मध्यप्रदेश से पद्मश्री प्रहलाद सिंह टिपानिया, कच्छ के सुप्रसिद्ध वाणी गायक मुरालाला मारवाड़ा, जैसलमेर के महेशाराम, जालौर के जोगभारती शामिल हैं।

बच्चों से बुजुर्गों तक की उत्साहपूर्ण भागीदारी

वाणी उत्सव की सबसे खास बात यह रही कि इसमें 10 साल के बाल कलाकारों से लेकर 80 साल के वरिष्ठ कलाकारों तक ने भाग लिया। भजन प्रतियोगिता में पारंपरिक राग-रागनियों, सुर-ताल और भजनों की श्रृंखला प्रस्तुत की गई, जिसने दर्शकों को लोकसंस्कृति और भक्तिभाव से सराबोर कर दिया। इस महोत्सव के तहत पांच प्रमुख मंचों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें पहले दिन तीन मंचों पर हरजस गायन और वाणी भजन प्रतियोगिता आयोजित की गई।

इसके अलावा, थार की कला और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए एक विशेष प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें स्थानीय हस्तशिल्प, पारंपरिक वाद्ययंत्र और लोक चित्रकला को प्रदर्शित किया गया।

दानजी स्मृति मारवाड़ भजनी पुरस्कार वितरण की तैयारी

अब सभी की निगाहें आज होने वाले दानजी स्मृति मारवाड़ भजनी पुरस्कार समारोह पर टिकी हैं। वाणी उत्सव के अंतिम चरण में आज इस समारोह का आयोजन किया जाएगा, जिसमें वाणी गायन के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों को पाँच श्रेणियों में कुल 3 लाख रुपये के पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे, साथ ही अन्य प्रतिभाशाली कलाकारों को 5 लाख रुपये मूल्य के वीणा वाद्ययंत्र भेंट किए जाएंगे।

यह आयोजन न केवल कलाकारों को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को वाणी गायन और हरजस परंपरा से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य भी करेगा, जिससे इस समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को और अधिक सशक्त बनाया जा सकेगा।

इस आयोजन के माध्यम से थार की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और संवर्धित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, जो आने वाले समय में लोक संगीत और परंपराओं को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध होगा।

रिपोर्ट – ठाकराराम मेघवाल

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